एतिहासिक धरोहरों की हालत खराब: उग रही हैं झाड़

 

फीचर डेस्क। वीरभूमि महोबा की ऐतिहासिक धरोहरें किस तरह मिटती जा रही हैं, उसका नायाब नमूना है 722 साल पुराना ये सती स्थल जहां सन् 1295 में महोबा की एक साथ 14 रानियां युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए अपने पतियों की चिता पर बैठकर सती हो गयी थीं। उनकी स्मृति में यहां 14 समाधियां बनी थी लेकिन उनमें से अब बस 4 समाधियां बची हैं। समदनगर मुहल्ले में सिंहवाहिनी मंदिर के पास स्थित बाकी 10 समाधियां या तो आसपास बने घरों में समा गयी हैं या फिर नष्ट कर दी गयी हैं। जो बचीं हैं, वे भी झाड़-झंकाड़ से जद्दोजहद कर रही हैं। लगता है क्षुद्र स्वार्थ के लोभ में हम, हमारे नेतागण व प्रशासन खुद अपनी विरासतों के दुश्मन बन गये है। सन 1295 में दिल्ली के सुल्तान मलिक हुसैन शाह के हमले में वीरगति को प्राप्त हुए महोबा के तत्कालीन भार राजा कीरतपाल, उनके पुत्रों व सभी 14 रानियों की आत्माएं आज सती स्थल की ये दुर्दशा देखकर खुद रो रही होंगी।