दिल्ली के आश्रम में महिलाएं बंधक: जांच के आदेश

नई दिल्ली। सिरसा आश्रम जैसा ही एक और आश्रम सामने आया है। आरोप है कि यहां पर कई लड़कियों व महिलाओं को बंधक बनाकर रखा गया है। उनको माता-पिता से मिलने नहीं दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली महिला आयोग व पुलिस को इस आश्रम का फौरन निरीक्षण करने का निर्देश दिया। आदेश के मद्देनजर देर रात तक आश्रम का निरीक्षण जारी था। दिल्ली महिला आयोग को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश हाईकोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। वहीं कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग व कई वकीलों को लेकर जांच के लिए कमेटी बनाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि आश्रम में युवतियों व महिलाओं को अध्यात्म के नाम पर बंधक बनाकर रखा जा रहा है, यह बेहद खतरनाक है। यह वैसा ही है जैसा हरियाणा के सिरसा में हो रहा था। खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह डीसीपी स्तर के अधिकारी को नियुक्त कर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का फौरन निरीक्षण करवाए। यह आश्रम रोहिणी के विजय विहार इलाके में ए-/351-352 पर स्थित है। कोर्ट ने पुलिस को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ आश्रम में जाने और निरीक्षण करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस पूरे निरीक्षण की वीडियोग्राफी कराई जाए। जिन 3 लड़कियों के माता-पिता कोर्ट आए हैं, उनको मुक्त करवाकर कोर्ट में पेश किया जाए। इसके लिए दिल्ली पुलिस के स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा पुलिस के साथ तालमेल करें। कोर्ट ने आश्रम के संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित को निरीक्षण के दौरान पुलिस का सहयोग करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह निर्देश एनजीओ ‘फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में कहा कि इस आश्रम में कई नाबालिग लड़कियों व महिलाओं को जबरन बंधक रखा हुआ है। इनमें कई लड़कियां 14 साल से आश्रम में कैद हैं। इस आश्रम के खिलाफ 11 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से सात दुष्कर्म की है। इसके बाद भी स्थानीय पुलिस कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर रही है।कोर्ट के समक्ष तेलंगाना से आए एक दंपति ने कहा कि उनकी बेटी अमेरिका में प्रोफेसर थी। वह 2014 में आश्रम में गई और उसके बाद वापस नहीं आई। आश्रम वाले उससे मिलने नहीं देते और उससे मोबाइल पर भी संपर्क नहीं हो रहा है। एनजीओ ने एक पीडि़त लडक़ी को कोर्ट में पेश किया। उस लडक़ी ने बताया कि वह अपने माता-पिता के साथ 2003 में आश्रम में गई थी। उसके बाद वह एक कोर्स करने वहां गई और वहां उससे दुष्कर्म किया गया। वह किसी तरह वहां से बचकर निकली थी। याची एनजीओ ने कहा कि आश्रम में कैद कई लड़कियां खुदकुशी कर चुकी हैं, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।