योगी की आबकारी नीति: शराब सिंडीकेटों की धुकधुकी बढ़ी

लखनऊ। यूपी की नई आबकारी नीति पर काम तो पिछले कई महीनों से चल रहा है। ये तय है कि आबकारी नीति बदलेगी और अब शराब व बीयर की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा। अगले वित्तीय वर्ष (2018-19) के लिए आबकारी नीति में बदलाव की कवायद शुरू हो गयी है। राज्य की नई आबकारी नीति का एक शुरुआती ड्राफ्ट बना भी लिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब देसी व अंग्रेजी शराब और बीयर व भांग की दुकानों के लाइसेंस का हर साल होने वाला नवीनीकरण नहीं होगा। इस बार फरवरी-मार्च में अंग्रेजी और बीयर की दुकानों का एक साथ तथा देसी शराब का अलग से तीन-चार दुकानों का एक ग्रुप बनाकर लाटरी ड्रा करवाया जाएगा। जिस भी कारोबारी के नाम ड्रा खुलेगा उसे दुकानों का समूह आवंटित कर दिया जाएगा। यही नहीं शराब व बीयर की थोक आपूर्ति के लिए बड़ी शराब निर्मात्री कंपनियां प्रदेश में डिपो भी खोलेंगी। इस नई नीति के जरिये आबकारी मद से अगले वित्तीय वर्ष में 22 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य है। प्रस्तावित नीति को लेकर विवाद भी शुरू हो गए हैं। पिछले दिनों शराब लखनऊ शराब एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मण्डल लखनऊ में सांसद राजनाथ सिंह से मिला था। बुधवार को यह फुटकर शराब कारोबारी आबकारी मंत्री से भी मिले। संगठन के महामंत्री कन्हैया लाल मौर्य ने बताया कि प्रस्तावित नीति उचित नहीं है।