मोदी कैबिनेट की बैठक में कई फैसले: रोडमैप तैयार

नई दिल्ली। सोमवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई ऐतिहासिक घोषणाएं की गईं। ये फैसले एमएसएमई, किसान और रेहड़ी पटरी वालों के जीवन पर प्रभाव डालने वाले हैं। एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा गया है, जिसकी संख्या करीब 6 करोड़ है। कोविड की महामारी के बाद पीएम ने एमएसएमई की आत्मनिर्भरता को पहचाना और उसे पैकेज भी दिया गया, ताकि वह संभल सकें। देखा जाए तो मोदी सरकार की घोषणाओं से 66 करोड़ लोगों को फायदा होगा, जिसमें 55 करोड़ खेती पर निर्भर लोग हैं, जबकि 11 करोड़ ऐसे लोग हैं जो एमएसएमई में काम कर रहे हैं।
आज की बैठक में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत घोषणाओं के लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इन घोषणाओं से एमएसएमई क्षेत्र में निवेश आएगा और नौकरियां पैदा होंगी। संकट में फंसे एमएसएमई को इक्विटी सहायता देने को घोषणा हुआ है, जिसके तहत 20 हजार करोड़ रुपए की सहायता के प्रावधान पर मुहर लग गई है। इससे 2 लाख संकट में फंसे एमएसएमई को फायदा होगा। 50 हजार करोड़ रुपए के इक्विटी निवेश का प्रस्ताव भी पहली बार हुआ है, जिससे एमएसएमई उद्योगों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध होने का मौका मिलेगा।
एमएसएमई की परिभाषा को भारत सरकार ने आज और संशोधित किया है। इकाई की परिभाषा के तहत निवेश की सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ के निवेश और 5 करोड़ का कारोबार कर दिया है। वहीं लघु इकाई निवेश की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए और 50 करोड़ रुपए का कारोबार कर दिया गया है। मध्यम इकाई के तहत 20 करोड़ रुपए निवेश और 250 करोड़ रुपए का कारोबार कर दिया है। पीएम ने मध्यम और मैन्युफैक्चरिंग सेवा इकाइयों की सीमा भी बढ़ाकर 50 करोड़ निवेश कर दी और कारोबार की सीमा 250 करोड़ तक बढ़ा दी है। साथ ही ये भी फैसला लिया गया है कि निर्यात में एमएसएमई को किसी भी टर्नओनर में नहीं गिना जाएगा, चाहे वह सूक्ष्म हों, लघु हों या फिर मध्यम हों।
यूनियन कैबिनेट की इस बैठक में रेहड़ी पटरी और ठेले वालों के लिए एक विशेष ऋष योजना की भी घोषणा हुई। इससे रेहड़ी पटरी ठेले वाले, छोटी दुकान वाले, सडक़ पर माल बेचने वाले लोगों की क्षमता बढ़े और उनका काम चले, इसके लिए अधिक लोन दिया जाएगा और ये योजना लंबी चलेगी। इससे 50 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। रेहड़ी पटरी और ठेले लगाकर बहुत से लोग सब्जी, फल, चाय, पकौडा, चप्पल, किताब, अंडा और कई अन्य चीजें बेचते हैं। इसके तहत सैलून, मोची, लॉन्ड्री और पान की दुकानें भी आएंग। कोविड-19 के दौरान इनका ध्यान रखने के लिए योजना शुरू की गई है, ताकि उन्हें मदद मिले।फुटपाथ दुकानदारों को इस योजना के तहत 10 हजार रुपए का लोन दिया जाएगा, जिसे वह मासिक किश्तों में 1 साल में लौटा सकते हैं। समय से भुगतान में 7 फीसदी वार्षिक ब्याज सब्सिडी के रूप में लाभार्थी के खाते में डाल दिए जाएंगे। जावड़ेकर ने घोषणा करते हुए साफ किया कि इसमें कोई दंड का प्रावधान नहीं है। बैंक और स्वयं सहायता समूहों की जिम्मेदारी भी तय की गई है, ताकि ये फायदा जिनके लिए है, उन तक आसानी से पहुंच सके। इसमें पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए पोर्टल और मोबाइल ऐप भी तैयार किए गए हैं।