बड़ी घटनाओं की पहेली में उलझी है लखनऊ पुलिस

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योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। कानून व्यवस्था के नाम पर पुलिस और उसके आला अफसरों किए जा रहे दावें राजधानी में ही हवा हवाई साबित हो रहे है। पिछले सात-आठ महीनों में दो दर्जन से ज्यादा हत्या की वारदातें हुई कई घटनाओं में पुलिस आज भी अंधेरेंं में हांथ-पांव मार रही है। चौक के लाजपतनगर स्थित नींबू पार्क चौकी से चंद कदमों की दूरी पर रहने वाले क्राकरी व्यवसायी अमित दुलानी और उनके नौकर दशरथ की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस सनसनीखेज वारदात को हुए नौ माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। यह घटना उस समय हुई जब मोहर्रम के मौके पर पुराना लखनऊ छावनी में तब्दील था। और व्यवसायी दुलानी उसके नौकर दशरथ पर बेखौफ बदमाश गोलियों की बौछार करते रहे और पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी। पुलिस अफसर कातिलों की गर्दन तक पहुंचने के लिए एक नहीं कई तरह का हथकंडा अख्तियार कर लखनऊ के अलावा सीमावर्ती जिलों में पुलिस की टीमें रवाना की,लेकिन आज तक हत्यारे पुलिस के हाथ नहीं आए। 30 अक्टूबर 2014 से लेकर जुलाई 2015 के मध्य महिलाओं की हत्या समेत करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के हुए कत्ल ने पुलिस महानिदेशक और लखनऊ एसएसपी के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया। वैसे तो पुलिस अफसर हमेशा अपने मातहतों को क्षेत्र में मुस्तैद रहने और जिम्मेदारी के साथ डयूटी निभाने का पाठ पढ़ाया करती है लेकिन अपने अफसरों का फरमान मातहतों का नहीं समझ में आता।
राजधानी में ताबड़तोड़ हो रही हत्याओं को लेकर पुलिस महानिदेशक और एसएसपी राजेश कुमार पांडेय अपराधियों की धरपकड़ तथा इन पर लगाम कसने के लिए अपनी बाहें चढ़ा रहे हों,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है बेखौफ बदमाशोंं के आतंक के आगे राजधानी की हाईटेक पुलिस बौनी साबित हो रही है। अनिल दुलानी की ही तर्ज पर इंदिरानगर निवासी प्रोफेसर सुरेश कुमार सिंह की पत्नी कृष्णा सिंह की उन्हीं के घर में बेरहमी से गला रेतकर मौत की नींद सुला दिया गया। इस जघन्य वारदात के मामले में हत्याभियुक्तों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने काफी हांथ पांव मारे लेकिन उसके हांथ कुछ नहीं लगा। वजीरगंज स्थित रिवर बैंक कॉलोनी निवासी सेवानिवृत्त प्रोफेसर एमवी त्रिवेदी को उन्हीं के घर की दहलीज पर बाइक सवार बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया। इस मामले में भी पुलिस हत्यारों तक पहुंचने के तरह-तरह के हथकंडे अ ितयार किये लेकिन आज तक कातिल नहीं मिल सके। यह तो 2014 के मामले थे। 2015 पर गौर करें तो हसनगंज में दिनदहाड़े तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मडिय़ांव क्षेत्र में रहने वाली महिला सायरा बानों और उसकी बेटी की गोली माकर हत्या कर दी गई। निगोहा इलाके में तीन दिन पहले एक महिला की हत्याकर हत्यारों ने शव को जंगल में फेंक कर भाग निकले। फिलहाल यह तो महज एक बानगी है इससे पहले शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाके में कई लोग कातिलों की भेंट चढे और पुलिस लकीर पीटती रह गई। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय का कहना है कि राजधानी में आतंक का पर्याय बने अपराधियों पर नकेल कसने के खाका तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जितनी भी अनसुलझी वारदातें हैं,उनका जल्द से जल्द राजफाश कर बदमाशों को सलाखों के पीछे भेजा जायेगा।