एक नम्बर पर पहुंचीं सूबे की सूक्ष्म और लघु ईकाइयां

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना काल के दौरान उद्योगों का पहिया चलाने के लिए जो सार्थक पहल की थी, अब उसके परिणाम दिखने लगे हैं। वैश्विक मंदी में भी उद्यमों ने इतिहास रच दिया है। देश में सबसे ज्यादा सूबे की सूक्ष्म और लघु पांच लाख 12 हजार इकाईयों ने अपने कारोबार को और बढ़ाने के लिए 22 हजार आठ सौ करोड़ रुपए का लोन लिया है। इस पैसे से उन्होंने कोरोना काल में उत्पादन तो बढ़ाया ही, बाजार में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
देश की रीढ़ कहे जाने वाले एमएसएमई सेक्टर ने भले ही कोरोना काल में काफी मुसीबतों का सामना किया हो, लेकिन सीएम योगी की दूरदर्शी नीति के कारण प्रदेश में सूक्ष्म और लघु इकाईयों को काफी राहत मिली है। सीएम ने खुद कई बार लोन मेले के माध्यम से एमएसएमई को लोन वितरित कराया और बैंकों को निर्देश जारी किए कि कारोबारियों को लोन देने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। जिसका परिणाम यह हुआ कि देश में सीजीटीएमएसई के तहत सूक्ष्म और लघु इकाईयां लोन लेने में पहले पायदान पर पहुंच गई है।
सीजीटीएमएसई के सीईओ संदीप वर्मा ने बताया कि इस स्कीम के तहत छोटे तबके के उद्यमियों को लोन की गारंटी दी जाती है, ताकि ऐसे उद्यमी जिनके पास बैंक गारंटी देने के लिए नहीं है और वह अपना कारोबार बढ़ाना चाहते हैं, वह इस स्कीम के तहत लोन लेकर अपने कारोबार को और बढ़ा सकते हैं। चूंकि सीजीटीएमएसई के तहत लोन की गारंटी ली जाती है, इसलिए बैंकों को भी लोन देने में दिक्कत नहीं होती। इसमें नए और पुराने दोनों तरह की ईकाईयां होती हैं। उत्तर प्रदेश ने इस योजना के तहत बहुत ही शानदार कार्य किया है।
केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु उद्योग मंत्रालय और सिडबी के संयुक्त पहल से सीजीटीएमएसई का संचालन किया जा रहा है। सीजीटीएमएसई देश में कार्यरत सूक्ष्म और लघु उद्योग वर्ग की इकाइयों द्वारा सदस्य बैंकों से प्राप्त ऋण राशि की क्षति पूर्ति करती है। सीजीटीएमएसई ने सूक्ष्म और लघु वर्ग के उद्योगों को प्रदत्त राशि की प्रतिभूति जारी करने के लिए वसूली की व्यवस्था में परिवर्तन किया है, ताकि ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहन मिले, जो लोन का दुरुपयोग नहीं करते हैं।
सूक्ष्म उद्योग में वह इकाइयां आती हैं, जिन्होंने प्लांट और मशीनरी में एक करोड़ तक का निवेश किया है और उनका वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकतम टर्नओवर पांच करोड़ तक है। लघु उद्योग में वह इकाइयां आती हैं, जिन्होंने प्लांट और मशीनरी में एक करोड़ से ऊपर और 10 करोड़ तक का निवेश किया है। उनका वित्तीय वर्ष के दौरान अधिकतम टर्नओवर पांच करोड़ से 50 करोड़ तक है। ऐसे ही मध्यम उद्योगों में वह इकाइयां आती हैं, जिन्होंने 10 करोड़ से 50 करोड़ तक का निवेश किया है और वित्तीय वर्ष के दौरान उनका टर्नओवर 50 से ढाई करोड़ तक है।