मोदी बोले: वंशवाद है लोकतंत्र का दुश्मन

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को राजनीतिक वंशवाद को लोकतंत्र का ‘‘सबसे बड़ा दुश्मन’’ करार दिया और इसे जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं।
वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए दूसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने राजनीति को ‘‘सार्थक बदलाव’’ का ‘‘सशक्त माध्यम’’ बताते हुए कहा कि जब तक देश का सामान्य युवा राजनीति में नहीं आएगा,‘‘वंशवाद का जहर’’ इसी तरह लोकतंत्र को कमजोर करता रहेगा।उन्होंने कहा कि देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का काम तथा उसे आत्मनिर्भर बनाने का काम देश के युवाओं के कंधे पर है।पिछले छह वर्षो में देश की राजनीति में आए बदलावों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा और बिना किसी का नाम लिए कहा कि भ्रष्टाचार जिनकी विरासत थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है।उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के सामान्य नागरिक की जागरूकता की ताकत है कि वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उबर नहीं पा रहे हैं। देश ईमानदारों को प्यार दे रहा है।’’मोदी ने कहा कि इसके बावजूद कुछ बदलाव अभी भी बाकी हैं और इन बदलावों को लाने के लिए देश के युवाओं को आगे आना होगा।उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र का एक सबसे बड़ा दुश्मन पनप रहा है और वह है राजनीतिक वंशवाद। राजनीतिक वंशवाद देश के सामने ऐसी ही चुनौती है, जिसे जड़ से उखाडऩा है। यह बात सही है कि अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं। लेकिन राजनीति में वंशवाद का यह रोग अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।’’उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में अभी भी ऐसे लोग हैं जिनका आचार, विचार और लक्ष्य सब कुछ अपने परिवार की राजनीति और राजनीति में अपने परिवार को बचाने का ही है।उन्होंने कहा कि राजनीतिक वंशवाद लोकतंत्र में एक ‘‘नए रूप की तानाशाही’’ के साथ ही देश पर अक्षमता का बोझ भी बढ़ा देता है।उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक वंशवाद, देश प्रथम के बजाय सिर्फ मैं और मेरा परिवार की भावना को मजबूत करता है। यह भारत में राजनीतिक और सामाजिक भ्रष्टाचार का भी एक बहुत बड़ा कारण है।’’