एस्पाइरिंग लाइव्स: बिछड़े फयाज को मिला अपनों का साथ

यह नया साल फयाज और उनके परिवार के लिए काफी शुभ रहा है। फयाज (पुरुष, 24 वर्ष) जो कि पिछले 1 वर्ष से अपने घर से लापता चल रहा था, उसको उसके परिवार से मिलवाया गया। ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी, जिनका नाम मनीष कुमार है, ने फयाज को भारत-नेपाल सीमा, सोनौली के क्षेत्र से चेन्नई लेकर लाए। और, फयाज के पिताजी, जिनका नाम सलमान फारिस है, को मलप्पुरम जिला, केरल से चेन्नई बुलाया गया। और, फिर चेन्नई के पैरिस में 8 जनवरी को फयाज को उनके परिवार (पिताजी) से मिलवा दिया गया। 9 जनवरी को फयाज अपने पिता के साथ वापस घर पहुँच गया। घर पर सभी लोग बहुत खुश हुए। ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ संस्था, चेन्नई ने फयाज़ के परिवार का पता लगाकर उसको उसके परिवार से पुनर्मिलन कराया है।फयाज ‘खलीफा मारी हाउस, कुरुका, पेरूमन्ना, कुरुगा, मलप्पुरम जिला, केरल’ का रहने वाला है।मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण फयाज अपने घर से लापता हो गया था। इनके लापता होने की वजह से इनके परिवार वालों का बुरा हाल था।परिवार वालों ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की फयाज को ढ़ूँढ़ने की, लेकिन वह नहीं मिल सका था क्योंकि फयाज की मानसिक अस्वस्थता ने उसे घर से काफी दूर (भारत-नेपाल सीमा, सोनौली का क्षेत्र) पहुँचा दिया था। लापता होने के बाद से 1 साल तक वह इसी क्षेत्र में इधर-उधर भटकता रहा। फयाज अपनी मानसिक अस्वस्थता के कारण अपने घर का पता ठीक से नहीं बता पा रहा था। बावजूद इसके, मनीष कुमार ने फयाज के द्वारा बताए हुए अस्पष्ट तथ्यों के आधार पर ही इसके परिवार वालों का पता लगाना प्रारम्भ किया। पिछले महीने (दिसंबर) की 14 तारीख को मनीष कुमार ने फयाज से बात की थी और इसी दिन फयाज के परिवार वालों का पता चल गया। वित्तीय असमर्थता के कारण फयाज के पिता (सलमान फारिस) ने भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र आने में अपनी असमर्थता जाहिर की तो एस्पाइरिंग लाइव्स संस्था के मनीष कुमार फयाज को लेकर चेन्नई आ गए क्योंकि चेन्नई फयाज के घर से नजदीक है जहाँ सलमान फारिस आ पाने में सक्षम थे। मनीष कुमार ने विभिन्न स्रोतों के माध्यम से फयाज के परिवार वालों का पता लगाया। जब मनीष कुमार ने फयाज के माँ-बाप को फ़ोन से फयाज के सकुशल होने की बात कही तो पूरे परिवार की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरा परिवार अत्यंत ही खुश हो उठा। यह ख़ुशी इसलिए भी ज्यादा थी क्योंकि फयाज को लापता हुए लम्बा समय बीत चूका था और वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ था, इसलिए परिवार वालों को यह भी डर था कि फयाज शायद अब इस दुनिया में ही न हो। इसलिए, फयाज के होने भर की खबर मात्र से ही परिवार हर्ष के सागर में डूब गया। फयाज के परिवार वालों का पता चलने से लेकर उसका उसके परिवार वालों से मिलने तक, उसका उसके परिवार वालों से फ़ोन से संपर्क करवाया जाता रहा। मनीष कुमार ने रेल के आरक्षण से लेकर आगमन-प्रस्थान तक की पूरी जानकारी फयाज के पिता को दी।फयाज का अपने परिवार से पुनर्मिलन में एस्पाइरिंग लाइव्स के संस्थापक, जिनका नाम फरीहा सुमन है, का भी सहयोग रहा है। न केवल फयाज और उनका परिवार अपितु वहाँ के स्थानीय लोग भी फयाज का अपने परिवार से पुनर्मिलन को लेकर अत्यंत ही खुश हैं। एस्पाइरिंग लाइव्स की टीम भी इस पुनर्मिलन से अत्यंत ही प्रसन्न है। आजकल के इस भाग-दौड़ के माहौल में जब पारिवारिक सौहार्द और पारिवारिक बंधन तेजी से कम होता जा रहा है, तब मानसिक रूप से विक्षिप्त फयाज का उसके परिवार के द्वारा उसके गुम होने के बाद अपनाया जाना, बहुत ही सराहनीय है। इसके लिए, इस परिवार के बारे में लोगों को जानना चाहिए। इस सकारात्मक समाचार का मीडिया के द्वारा प्रचार-प्रसार करने का मुख्य उद्देश्य फयाज के परिवार का समाज को दिए गए सन्देश को लोगों तक पहुँचाना है।गौरतलब है कि ‘एस्पाइरिंग लाइव्स’ एनजीओ 8 मई, 2018 को पंजीकृत हुई है और बिना किसी बाह्य स्रोत की वित्तीय सहायता से इसने अभी तक 107 मानसिक रूप से असक्षम लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया है। एस्पाइरिंग लाइव्स की पंजीकृत शाखा तिरुपत्तूर जिला, तमिलनाडु में है।