जानिए मौनी अमावस्या का महत्व

डेस्क। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुनि शब्द से मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। माघ मास की अमावस्या के दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
माघ अमावस्या 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त-
फरवरी 11, 2021 को 01:10:48 से अमावस्या आरम्भ।
फरवरी 12, 2021 को 00:37:12 पर अमावस्या समाप्त।
शास्त्रों में माघ अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। अगर मौन रहना संभव न हो तो माघ अमावस्या के दिन कटु वचनों को नहीं बोलना चाहिए। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है। अमावस्या के दिन चंद्र देव के दर्शन नहीं होते हैं। इससे मन की स्थिति कमजोर रहची है। इसलिए अमावस्या के दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है।

मौनी अमावस्या व्रत नियम-

  1. मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए।
  2. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
  3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
  4. यदि आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
  5. हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।