डोल रहा है दीदी का सिंघासन

अभिषेक मिश्रा ‘अर्जुन’। जिस तरह दिन ढलता जाता और शाम आ जाती है और समय का पता नही चलता उसी प्रकार से चुनाव के पांच साल कैसे बीत जाते है पता ही नही चलता । बंगाल चुनाव एक बार फिर से नज़दीक आ रहे और आशाओं का दौर कई राजनीतिक पार्टियों में एक बार फिर से शुरू हो चुका है । चाहे वो कांग्रेस हो या भाजपा हो या वामपंथी दल हों , सबकी निगाह में बंगाल चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है ।बात अगर मौजूदा सरकार की करें तो 2011 से लगतार दो बार ममता बैनर्जी की पार्टी आल इण्डिया तृणमूल कांग्रेस की बहुमत की सरकार है । 2016 में भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े और मजबूत राजनीतिक दलों के तमाम हाथ पैर मारने के बावजूद भी दीदी का किला ध्वस्त न हो सका । लेकिन नया चुनाव , नया साल और रणनीतियां भी नई , एक बार फिर से सारे राजनीतिक दल दीदी के किले में सेंधमारी को तैयार बैठे हैं । जहां भारतीय जनता पार्टी अपने आपको और मजबूत करने के लिए बंगाल चुनाव से अच्छे प्रदर्शन कि उम्मीद लगाए बैठी है वही कांग्रेस भी बंगाल चुनाव में अपने आपके लिए जीवनदान खोजने में बेचैन है । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा व देश के गृहमंत्री अमित शाह लगातार रैलियों को संबोधित कर बंगाल की जनता का रुख मोडऩे की कोशिश कर रहे हैं वही वामपंथी दल और कांग्रेस भी हर एक महत्वपूर्ण गतिविधियों पर नजऱ बनाये हुए है । बीतते दिनों के साथ साथ व चुनाव को करीब आते देख कई नेता पाला भी बदलने का मौका नही चूक रहे । ममता सरकार के मंत्री राजीब बैनर्जी के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस के पांच विधायकों ने भो कुछ दिनों पहले अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा का दामन थाम लिया । तृणमूल कांग्रेस ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी में भी सेंध मारकर बंगाल मजलिस के अध्यक्ष स््य अब्दुल कलाम को अपने साथ जोड़ लिया है । इस उलट फेर के दौर के नजदीक आने से व अलग अलग नेताओं के सुख समृद्धि भांपने की गति से पता चल रहा है कि बंगाल चुनाव की सुगबुगाहट तेज़ होने लगी है । लेकिन जिस प्रकार का नुकसान तृणमूल कांग्रेस और ममता दीदी को भाजपा के चाणक्य ने अब तक दिया उस से ये साफ पता चलता है कि बाकी सभी दलों को मजबूती से संगठन को तैयार करना पड़ेगा । भाजपा के कई नेता लगातार बंगाल के अलग अलग जिलों में जाकर जिस तरह से जनसभाओं व रैलियों को संबोधित कर रहे है उससे ये साफ ज़ाहिर होता है कि भाजपा किसी भी चुनाव को हल्के में नही लेगी और दीदी व कांग्रेस दाँत खट्टे करने में कोई कसर नही छोड़ेगी । ममता की पार्टी से सांसद महुआ मोइत्रा भी लोकसभा सांसद के रूप में संसद में लगातार प्रधानमंत्री व भाजपा के नेताओ पर निशाना साधती रही हैं और बंगाल चुनाव में ममता के बाद तृणमूल कांग्रेस में इनका प्रभाव अधिक माना जा रहा है । देश के गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य अपनी रैलियों में कड़े रुख इख्तियार करते हुए ये कहने में बिल्कुल नही चूकते हैं कि ममता सरकार को बंगल से उखाड़ फेकेंगे । ममता भी जवाब तैयार रख़ते हुए उनको लगातार पलटवार कर अपनी सरकार होने का एहसास दिलाती रहती हैं । दीदी ने शाह के जय श्री राम का भी जवाब ढूंढ कर जय सिया राम का नारा दे डाला । उनका कहना है कि हमारे बंगाल में राम और सीता दोनो का नाम साथ लिया जाता है । खैर अटल जी को याद करते हुए उनकी एक पंक्ति कहूंगा नतीजे जो भी हों , सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन ये देश रहना चाहिए । आशा है कि कोई भी दल जिसकी भी सरकार बने वह वहां के लोगों के लिए काम करे व प्रदेश में सुख समृद्धि व खुशहाली लाये ।