परिवार और समाज की जागरूकता से ही मातृ मृत्यु से मिलेगी निजात

डेस्क। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एवं व्यवसाय प्रबंधन विभाग, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालया , और सेंटर फॉर एकेडमिक लीडरशिप एजुकेशन मैनेजमेंट,अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के द्वारा सात दिवसीय ऑनलाइन एकाडमिक नेतृत्व प्रशिक्षण कोर्स के पाँचवे दिन महिला प्रजनन स्वास्थ्य एवं लिंग और भाषा बारे से चर्चा हुई।
पहले सत्र में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय की जे.एन.मेडिकल कॉलेज की ऑब्जत्रेटिक्स एवं गयनाइकलॉजी विभाग की पूर्व चेयरपर्सन डॉ. तमकीन खान ने गर्भावस्था और बच्चे का जन्म के दौरान होने वाले चिकित्सक समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी द्यरजोनिवृत्ति,बांझपन, और घरेलु हिंसा का विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. खान ने कहा का हर दिन 800 महिलाओं का मातृ मृत्यु होती है द्य विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु भारत और नाइजेरिया में होती है द्य विलम्ब निर्णय, विलम्ब परिवहन, एवं विलंबित चिकित्सालय सुविधा मिलना। मातृ मृत्यु का मुख्य तीन कारण है द्य सही प्रस्तुति ज्ञान, चिकित्सालय में प्रस्तुति को बढ़ावा देना एवं प्रस्तुति सम्बंदित समस्याओं को परिवार और समाज को जागरूक करना जैसे कदमो से मातृ मृत्यु में कमी आएगी।
दूसरे सत्र में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर आयेशा मुनीर रशीद ने लिंग एवं भाषा का सम्बन्ध के बारे में अपना विचार व्यक्त किया द्य उन्होंने कहा की बचपन से ही बच्चियों को प्रशिक्षण दिया जाता है की वो कम बोले और धीरे आवाज में बोले द्य स्त्री को हमेशा मधु भाषी और पुरुष को अकरमिक भाषी माना जाता है द्य इससे असामान रोजज़ार अवसर, पदोन्नति में विलम्भ, अपने हक़ के लिए खड़े होने में बधायें आती है द्य स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में तटस्थ लिंग भाषा का होना, घर एवं कार्यालओं में ऐसे भाषा का प्रयोग करना और सामाजिक उत्तरादायित्व को इनमे शामिल करने से बेहतर समाज का कल्पना किया जा सकता है। कार्यक्रम के समन्वयक, डॉ मुराद अली ने संचालन किया एवं सैय्यद मज़हर ज़ैदी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया द्य इस अवसर पर डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा , डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता , डॉ. संतोष कुमार सिंह , डॉ. विक्रांत उपाध्याय , डॉ. योगेश चंद्र , डॉ. मुकुल लावण्या, प्रदीप सिंह आदि उपस्थित रहे।