पीएम के मन की बात: दवाई भी कड़ाई भी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी, रविवार को अपने रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता कफ्र्यू शब्द सुना था। लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था। अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदाहरण था, आने वाली पीढिय़ाँ इस एक बात को लेकर के जरूर गर्व करेगी। उसी प्रकार से हमारे कोरोना वारियर्स के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना। आपको अंदाजा नहीं है कोरोना 2ड्डह्म्ह्म्द्बशह्म्ह्य के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए -‘दवाई भी – कड़ाई भी’
पीएम ने आगे कहा, यह कार्यक्रम 2014 में शुरू हुआ था, लेकिन ऐसा लग रहा है मानों यह कल की ही बात हो। मैं सभी श्रोताओं का धन्यवाद देना चाहता हूं और उनका भी धन्यवाद जिन्होंने इस कार्यक्रम के इनपुट दिए। मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि आपने इतनी बारीक नजऱ से ‘मन की बात’ को द्घशद्यद्यश2 किया है और आप जुड़े रहे हैं। ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है। मैं आज, पहले ‘मन की बात’ को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।पीएम मोदी ने कहा, किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोडऩे का माध्यम बन सकते हैं। आप देखिएगा, देखते ही देखते ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर ऐसी अमृत धारा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी। देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगी, कुछ-न-कुछ करने का जज्बा पैदा करेगी। आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने कितने ही कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि, वो देश के लिए त्याग और बलिदान को अपना कर्तव्य समझते थे। उनके त्याग और बलिदान की अमर गाथाएँ अब हमें सतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करे।