सख्ती के साथ बढ़ाएं टैक्स दाताओं का दायरा

income tax
आर.के. सिन्हा।
अब इनकम टैक्स दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने के लिए आयकर विभाग ने अपना नया अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत आयकर विभाग ने मौजूदा वित्त वर्ष में एक करोड़ नए लोगों से कर वसूलने का लक्ष्य तय किया है। लक्ष्य हासिल करने के लिए विभाग ने क्षेत्रवार लक्ष्य भी तय कर दिए हैं। मसलन पुणे को सबसे अधिक दस लाख नए लोगों को कर दायरे में लाने का लक्ष्य दिया गया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को 9.30 लाख तो आंध्र प्रदेश व तेलंगाना को 7.93 लाख नए आयकरदाता जोडऩे का लक्ष्य दिया गया है।
दरअसल, देश में ऐसे लोगों की बहुत बड़ी तादाद है, जो अच्छी-खासी कमाई होने के बावजूद टैक्स भरने में यकीन नहीं रखते। अब आयकर विभाग ऐसे लोगों की न सिर्फ पहचान करेगा बल्कि उनसे जुर्माने समेत टैक्स भी वसूलेगा। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले अपने देश में आयकरदाताओं की संख्या सिर्फ चार करोड़ के आसपास ही है।
पिछले वित्त वर्ष में आयकर विभाग द्वारा एक हजार से ज्यादा छापेमारी और सर्वे की कार्रवाई की गई तथा टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ 100 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गयीं। आयकर विभाग अब उन छोटे शहरों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा जहां हाल के बरसों में हुई तरक्की के साथ-साथ खूब समृद्धि भी आई है, लेकिन उस अनुपात में उन शहरों से उतना कर नहीं आया या नए करदाता नहीं जुड़े। भारत में करीबन तीन फीसदी लोग ही इनकम टैक्स जमा करते हैं। विकसित देशों से तुलना की जाए तो यह आंकड़ा उनके मुकाबले में कहीं भी नहीं ठहरता।
तमाम तरक्की और बढ़ते शहरीकरण के बावजूद हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा विकास से कोसों दूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। यहां लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे टैक्स दे सकें। पर यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है।
पिछले 20-25 सालों में अच्छा-खासा कमाने वालों की तादाद कई गुना बढ़ गई है। डेढ़-दो दशक पहले कितने लोगों के पास अपनी कारें थीं? कितने लोगों के पास अपने मकान थे? कितने लोग थे जो हवाई यात्रा करते थे? कितने लोग थे जो छुट्टी मनाने विदेश जाते थे? किन्तु जब इनकम टैक्स भरने वालों का आंकड़ा सामने आता है तो बड़ा फर्क जाहिर हो जाता है।
साफ है ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है, जिनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ी है, समृद्धि बढ़ी है, लेकिन जो अपनी आमदनी की घोषणा करने में कोताही करते हैं, टैक्स भरने से बचते हैं। कुछ ही दिन पहले जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत करोड़पतियों के मामले में दुनिया में दसवें स्थान पर पहुंच चुका है। दुनियाभर के अमीरों पर शोध करने वाली संस्था न्यू वर्ल्ड वेल्थ और एलआईओ ग्लोबल द्वारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल तक भारत में 226800 करोड़पति थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2013 में देश में सिर्फ 42,800 लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी वार्षिक आमदनी एक करोड़ से ज्यादा है। दो आंकड़ों के बीच इतना बड़ा फर्क समझ नहीं आता।
वैसे देखा जाए तो मानना पड़ेगा कि इनकम टैक्स अदा करने के मामले में सिर्फ नौकरीपेशा ही ईमानदारी दिखाते हैं। दरअसल, टीडीएस की अनिवार्यता की वजह से उनके नियोक्ता ही उनके लिए यह काम कर देते हैं। व्यक्तिगत आयकरदाताओं में आधे से ज्यादा वेतनभोगी कर्मचारी हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर की आमदनी पांच लाख तक ही है। दरअसल टैक्स न देने वाले तबके में ज्यादातर वे लोग हैं जो नगद व्यापार करते हैं। इसमें वे दुकानदार, रेस्तरां वाले, किराना स्टोर के मालिक और सर्विस मुहैया कराने वाले भी हैं जिनकी रोजाना अच्छी-खासी बिक्री है लेकिन कोई हिसाब नहीं रखते। आयकर विभाग के पास अब ऐसे कई तरीके हैं जिनके जरिए वह टैक्स चोरों तक पहुंच सकता है।
पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाले कर प्रशासन और सुधार आयोग ने कुछ माह पहले वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि बड़े किसानों को भी टैक्स दायरे में शामिल किया जाना चाहिए। यदि सरकार आयोग की सिफारिशों पर सरकार अमल करती है, तो अभी तक टैक्स छूट का फायदा उठा रहे बड़े किसान टैक्स दायरे में आ जाएंगे। अभी ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 4.6 फीसदी परिवार इनकम टैक्स देते हैं और इनमें से दस फीसदी वेतनभोगी हैं। दरअसल किसानों से जुड़ा मसला काफी संवेदनशील है। खेतीबाड़ी कोई बड़े लाभ का सौदा नहीं है।
वैसे टैक्स दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोग तभी आ पायेंगे जब उन्हें भारी जुर्माने या कठोर दंड का डर होगा। टैक्स न भरने वालों में जब यह संदेश जायेगा कि हल्के जुर्माने से मामला नहीं निपटेगा तो वे खुद ही टैक्स भरने को मजबूर होंगे। बेशक टैक्स न भरने वालों को इस बात का डर होना चाहिए कि टैक्स नहीं देंगे तो फंस जाएंगे। किन्तु ईमानदारी से टैक्स देने वालों को प्रोत्साहन देने, सम्मान देने की भी जरूरत है। लोगों को यह बताने की जरूरत है कि उनके द्वारा दिया गया टैक्स किस तरह देश के विकास में मददगार बनता है।