युवाओं को रोजगार देने में फिसड्डी रहा बिहार

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पटना। देश का पिछड़ा राज्य बिहार में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और सभी दल अपने अपने हथियार का प्रयोग कर रहे हैं मगर इन दलों को बिहार के युवाओं के बारे में सोचने का मौका कभी नहीं मिला। चुनाव के समय लुभावने वादे होते हैं और उसके बाद हाल फिर वही ढाक के तीन पात। बिहार में अक्टूबर एवं नवंबर में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो बिहार की जनता के दिमाग में घूम रहा होगा। बिहार की आधी से अधिक आबादी जीवन यापन के लिए खेती-बाड़ी पर निर्भर है। देश की कुल आबादी में से इस आर्थिक रुप से नष्ट राज्य की हिस्सेदारी 8 फीसदी है जबकि जनबल (श्रमिक शक्ति ) प्रदान करने के मामले में बिहार की हिस्सेदारी केवल 1 फीसदी ही है। बिहार में जितना अधिक आप शिक्षित होते हैं उतनी ही अधिक आपकी बेरोजगार बनने की संभावना होती है। एक विश्लेषण में पाए गए निष्कर्ष कुछ इस प्रकार है कि बिहार की कुल 104 मिलियन आबादी में से 28 मिलियन लोग 15 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। यानि 27 फीसदी लोग युवा वर्ग के हैं जो राष्ट्रीय औसत, 30 फीसदी, से कम है। यह आंकड़ा भारत के गरीब राज्यों ( मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड एवं ओडिसा) में सबसे कम है। युवा आबादी, बिहार एवं अन्य राज्य युवाओं की संख्या कम नौकरियां और भी कम बिहार युवाओं की कम अनुपात वाले राज्यों में से एक तो है ही लेकिन राज्य में इन युवाओं के लिए बेराजगारी और अधिक है। आकंड़ो के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी दर 17 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी औसत 13 फीसदी दर्ज की गई है। श्रम आंकड़ों के मुताबिक 30 वर्ष की आयु से अधिक लोगों के लिए बेरोजगारी दर 1.4 फीसदी दर्ज की गई है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय औसत भी 1.4 फीसदी ही दर्ज की गई है। बिहार एवं भारत में बेरोजगारी स्थिति की तुलना अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में युवा एवं शिक्षित बेरोजग़ारों की संख्या अधिक है जबकि दूसरे राज्यों में अधिकतर निरक्षर एवं कम पढ़े लोग ही बेरोजगार देखे गए हैं। शिक्षा के स्तर से बिहार में बेरोजगारी बिहार के अधिकरतर युवा कृषि या निर्माणकार्य या व्यवसाय करते हैं। बिहार के युवा भारतीय जनता पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय हैं जो इन युवाओं की आकांक्षाओं और असंतोष को भुनाते हैं। कारोबार के अनुसार बिहार की युवाओं का रोजगार बिहार इंडस्ट्रीज के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2013 के अंत तक राज्य में उद्योगों की संख्या केवल 3,345 थी। कुल उद्योगों की तुलना में यह आंकड़े केवल 1.5 फीसदी हैं जबकि यही आंकड़े अन्य प्रमुख औद्योगिक राज्यों में जैसे कि तमिलनाडु 16.6 फीसद), महाराष्ट्र 3.03 फीसदी और गुजरात 10.17 फीसदी है। देश भर में करीब 12.9 मिलियन लोगो भारतीय उद्योग से जुड़े हैं जिसमें से बिहार की हिस्सेदारी केवल 116,396 लोगों की है जो कि कुल संख्या के 1 फीसदी से भी कम है। कृषि में 3.7 फीसदी वृद्धि दर्ज होने (वर्ष 2015 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार ) एवं राज्य में कोई बड़ा उद्योग न होने के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को मुख्य रुप से चलाने वालों को रोजगार दिला पाना, आगामी चुनाव जीतने के लिए मुख्य चुनौती साबित हो सकती है।