वाराणसी। सन् 1965 की जंग में पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बनाने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद की बेटी नजबुन निशा और दामाद शेख अलाउद्दीन इन दिनों काफी परेशान हैं। पूरा देश जब पाकिस्तान से जंग में मिली इस जीत की गोल्डन जुबली सेलिब्रेट कर रहा है, नजबुन अपने पति के बकाए रकम की पेमेंट के लिए सरकारी दफ्तर और अधिकारियों की दौड़ लगा-लगाकर थक चुकी हैं।
नजबुन ने बताया कि उनके पति शेख अलाउद्दीन डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी डीआरडीए में क्लर्क की पोस्ट पर थे। वह 28 फरवरी 2014 को रिटायर हुए थे। सरकारी फाइलों में उनके पूरे कार्यकाल की तारीफ की गई लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त बीतने के बावजूद अलाउद्दीन के एश्योर करियर प्रमोशन सुनिश्चित प्रोन्नत वेतनमान, लीव एनकैशमेंट अवकाश नकदीकरण छठे वेतन आयोग के मुताबिक एरियर और ग्रेच्युटी का आज तक पेमेंट नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि वे डीआरडी, के बाबुओं से लेकर जिला विकास अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और डीएम के भी पास गए, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। रकम नहीं मिलने से परिवार भुखमरी के कगार पर है। नजबुन निशा ने बताया कि उनकी मां और अब्दुल हमीद की विधवा रसूलन बी ने इस साल पहली जून को सीएम अखिलेश यादव को चि_ी लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी थी। सीएम ने गाजीपुर के डीएम और मुख्य विकास अधिकारी से जवाब भी मांगा था, इसके बावजूद शेख अलाउद्दीन के बकायों का पेमेंट नहीं किया गया।
नजबुन निशा का आरोप है कि उनके पति के बकाए की पेमेंट से जुड़ी फाइलों को डीआरडीए के कुछ क्लक्र्स ने रोक रखी है। उनका कहना है कि ये बाबू फाइल आगे बढ़ाने के लिए घूस मांग रहे हैं और रकम न मिलती देख फाइल अटका दी है।