सपा ने लगाया भाजपा पर आरोप: खुली पोल तो दिखा रहे रंग

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि आरएसएस और भाजपा को अफवाहें फैलाने में महारत हासिल है। मुजफ्फरनगर कांड की जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित भी नहीं हुई कि भाजपाईयों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। उनकी हरकतें चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत चरितार्थ करती हैं। उन्हें मालूम है कि उनके दंगा भड़काऊ कारनामे की पोल खुल गई है, इसलिए वे अपराध बोध से ग्रस्त हैं।
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे डा. बालियान साहब ने तो हद कर दी। उन्होंने गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करते हुये समाजवादी सरकार के वरिष्ठ मंत्री मो. आजम खां के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की है। आयोग की रिपोर्ट देखे बिना ऐसे बयान देना नितांत अलोकतांत्रिक, अवैधानिक तथा निंदनीय है। आजम साहब को भाजपा नेताओं से धर्मनिरपेक्ष होने का चरित्र प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। वे सामाजिक सद्भाव के लिए निरंतर संघर्षरत रहे हैं और दंगों की राजनीति के विरोधी रहे हैं। यही बात भाजपा-आरएसएस को चुभती है और वे उनके खिलाफ जब तब जहर उगलते रहते हैं। भाजपा की भूमिका पूर्णतया सांप्रदायिकता का जहर फैलाने और समाज को बांटने की रहती है। जब कि समाजवादी पार्टी की सरकार अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में विकास की तमाम नई परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही है, जिससे जनता का भरोसा मुख्यमंत्री जी के प्रति बढ़ रहा है। समाजवादी सरकार धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सद्भाव और विकास के लिए प्रतिबद्ध है और सार्वजनिक जीवन में शुचिता तथा पारदर्शिता को प्राथमिकता देती है। भाजपा को अपना भविष्य अंधेरे में दिख रहा है। इसलिए वे प्रदेश का माहौल बिगाडऩे की कोशिशों में लगे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति को विशाक्त बनाने और सांप्रदायिक धु्रवीकरण के जरिए भाजपा नेता अपना भविष्य संवारने की व्यर्थ चेष्टा कर रहे हैं। प्रदेश की जनता ने साढ़े तीन सालों में उन्हें किसी न किसी बहाने सामाजिक सौहार्द को बिगाडऩे की साजिशें करते पाया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार भी उन्हें अपने कुत्सित इरादों में सफल नहीं होने दिया। भाजपा को जानना चाहिए कि प्रदेश में कानून का राज है और इससे खिलवाड़ करना बहुत मंहगा सौदा साबित होगा। जनता के बीच भेदभाव और वैमनस्य का बीज बोने वालों को पहले भी करारी शिकस्त मिली है और आगे भी उन्हें किंचित सफलता नहीं मिलने वाली है। वे नाहक अपनी उर्जा व्यर्थ के काम में लगा रहे हैं।