स्किल इंडिया की रफ्तार धीमी: लक्ष्य है दूर की कौड़ी

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विचार डेस्क। सरकार ने स्किल इंडिया के जरिए सन 2022 तक 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को हुनरमंद बनाने का लक्ष्य जरूर ले रखा है, मगर देश में शिक्षा और उसमें भी व्यावसायिक शिक्षा की रफ्तार को देखते हुए यह दूर की कौड़ी ही लग रहा है। जरा कुछ आंकड़ों पर गौर करें। नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक देश में हर दस वयस्कों में से एक को ही किसी तरह का कारोबारी प्रशिक्षण मिला हुआ है। 15 से 59 आयु वर्ग के 2.2 प्रतिशत लोगों ने ही औपचारिक रूप से कोई वोकेशनल कोर्स किया है, जबकि 8.6 फीसदी ने अनौपचारिक रूप से व्यावसायिक शिक्षा हासिल की है। ऐसे लोग आमतौर पर वे हैं जिन्हें किसी तरह का हुनर विरासत में मिला है या जिन्होंने कोई नौकरी करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया। 15 वर्ष से ज्यादा की उम्र के मात्र 2.4 प्रतिशत के पास मेडिकल, इंजिनियरिंग या कृषि के क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट है।
सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि 5 से 29 वर्ष के केवल 60 फीसदी युवा ही किसी शैक्षिक संस्थान में पढऩे जाते हैं। ऐसे में कोई बड़ी उथल-पुथल लाए बगैर अगले पांच-सात वर्षों के भीतर भारी-भरकम स्किल्ड वर्क फोर्स कहां से तैयार होगी? भारत सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक देश में आज सालाना सिर्फ 35 लाख लोगों के लिए स्किल ट्रेनिंग का इंतजाम है। चीन से तुलना करके देखें तो वहां हर साल नौ करोड़ लोग ऐसी ट्रेनिंग ले रहे हैं। अपने यहां जिन लोगों को शिक्षण-प्रशिक्षण मिल भी रहा है, उनकी गुणवत्ता का हाल एं-वें सा ही है। सीआईआई की इंडिया स्किल रिपोर्ट-2015 के मुताबिक, भारत में हर साल सवा करोड़ शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में इंडस्ट्री के दरवाजे खटखटाते हैं लेकिन उनमें 37 प्रतिशत ही रोजगार के काबिल होते हैं। दरअसल इस मामले में हमारी नींद बड़ी देर से खुली है।
भूमंडलीकरण के दबावों के बाद ही हमने इसके महत्व को समझा है जबकि जर्मनी, जापान, कोरिया जैसे देशों ने इसके जरिए ही दुनिया पर अपना दबदबा कायम किया। दरअसल जिस एजुकेशन सिस्टम के बल पर हम यहां तक आए हैं, वह हमें पढऩा-लिखना तो सिखा देता है पर हुनरमंद नहीं बनाता। तकनीकी संस्थान खोलने और उनका विस्तार करने में सरकारों की कोई खास दिलचस्पी नहीं रही। आईआईटी जैसे बड़े संस्थान खोलने पर ध्यान जरूर रहा लेकिन छोटे-छोटे तकनीकी संस्थानों का जाल फैलाने का ख्याल नहीं आया। प्राइवेट सेक्टर को ऐसे संस्थान खोलने की अनुमति दी गई पर वे इतने महंगे हो गए कि उन तक देश के बड़े वर्ग की पहुंच ही संभव नहीं हो सकी।
स्किल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। शिक्षा का स्वरूप बदलना होगा। बुनियादी स्तर पर ही व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। देश में स्किल सेंटर्स का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना होगा। बुनियादी बात यह कि ऊंघते शिक्षा ढांचे को जगाने के लिए एक बड़ा धमाका करना होगा।