बिहार चुनाव:रिश्तों के रस में सराबोर है पार्टियां

bihar-election1दीपेश सिन्हा, पटना। 243 सीटों की बिसात पर सभी पार्टियां अपना-अपना मोहरा सजा रही हैं। पार्टी दूसरे उम्मीदवारों के लिए भले ही मानदंड तय करे, लेकिन रिश्तेदारों के लिए बस रिश्ता ही बड़ा और पुख्ता पैमाना है। बिहार चुनाव में महागठबंधन की ओर से 242 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है। हर सीट पर उठापटक, जोड़-तोड़ के बावजूद लिस्ट में अपनों के नाम शामिल किए गए। बेटे के नाम लालू की विरासत लालू प्रसाद ने अपनी विरासत दोनों बेटों को सौंपने का मन बना लिया है। लालू के दोनों बेटे लालटेन की रोशनी में विधानसभा की देहरी पार करने को तैयार खड़े हैं। बड़े बेटे तेज प्रताप को महुआ से और छोटे बेटे तेजस्वी को राघोपुर से आरजेडी का उम्मीदवार बनाया गया है। उधर, हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के मांझी भी अपने परिवार के लिए तीन सीटों पर पहले ही कब्जा कर लिया है। दो सीटों पर वे खुद उम्मीदवार हैं और तीसरी सीट अपने बेटे संतोष कुमार सुमन को सौंप दिया है। मांझी मखदुमपुर और इमामगंज से खुद चुनाव लड़ रहे हैं और उनके बेटे संतोष कुटुंबा से उम्मीदवार बनाए गए हैं। शकुनी चौधरी ने अपने बेटे रोहित कुमार को खगडिय़ा से टिकट दिलवा दिया है। बीजेपी में रिश्तेदारों को मलाई चुनावी समर में रिश्तों के रस में बीजेपी भी सराबोर है। बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे अपने बेटे अरिजीत को भागलपुर से टिकट दिलवाने में सफल रहे हैं। राज्यसभा सांसद डॉक्टर सीपी ठाकुर ने बेटे विवेक ठाकुर को ब्रह्मपुर से टिकट दिलवा दिया है। बीजेपी नेता गंगा प्रसाद ने अपने बेटे संजीव चौरसिया को दीघा सीट से विधानसभा भेजने का बंदोबस्त कर लिया है। बिहार में नेता विपक्ष नंद किशोर यादव भी अपने बेटे नितिन किशोर को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं। सारण के सांसद जनार्दन सिंह भी बेटे प्रमोद को टिकट दिलवाने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं. सासाराम के सांसद छेदी पासवान भी बेटे को बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़वाना चाहते हैं। पासवान का परिवारवाद एनडीए के साथी रामविलास पासवान ने तो अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी की संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बना दिया है इसके अलावा पासवान ने अपने भाई पशुपतिनाथ पारस को अलौली सीट से एलजेपी का उम्मीदवार बनाया है। पासवान के भतीजे प्रिंस राज को भी सियासी राजकुमार बनाने के लिए चुनाव में उतार दिया है। पासवान की रिश्तेदार सरिता पासवान को सोनबरसा से एलजेपी का उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा पासवान की मेहरबानी अपने एक और करीबी विजय पासवान पर भी रही। उन्हें त्रिवेणीगंज से उम्मीदवार बनाया गया है। दिग्गजों के घर में जारी है घमासान तमाम रिश्तेदारों को टिकट बांटने के बावजूद दिग्गजों के घर में घमासान जारी है। कई जमाई अपने ससुर के सियासी फैसलों से नाराज हैं। पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु टिकट न मिलने से खासे नाराज हैं। साधु ने तो ससुर पासवान के खिलाफ सियासी जंग छेडऩे का फैसला कर लिया है। उधर जीतनराम मांझी के दामाद भी उनके फैसले से नाराज हैं. मांझी के दामाद देवेंद्र को बोधगया से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो ना सका। अब मांझी के जमाई बाबू ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने का फैसला कर लिया है। कुल मिलाकर, बिहार के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा दिग्गजों के अपने लोग हैं। अगर रिश्तेदारों को जनता ने कबूल कर लिया, तो समझो नेताओं का काम हो गया, लेकिन खारिज कर दिया, तो इनकी साख और पार्टी दोनों हाशिए पर चली जाएगी।