जल्द आयेगी अक्षय कुमार की फिल्म एयरलिफ्ट

akshay kumarमुम्बई। कॉमिडी को अपने लिए परफेक्ट समझने वाले सुपरस्टार अक्षय कुमार का इंडस्ट्री में 26वां साल चल रहा है। पिछली फिल्में स्पेशल 26, हॉलिडे, बेबी के बाद उनकी हालिया फिल्म ब्रदर्स भी सफल रही। अब वह लेकर आए हैं सिंह सीरीज की फिल्म सिंह इज ब्लिंग, जो रिलीज हो गई है।
सिंह टाइटल को यूज करके आप फिल्में बना रहे हैं, जिनका हीरो टेंशन फ्री है और मस्तमौला दिखता है। इस सिंह को कभी सीरियस हीरो बनाने की कोशिश की?
मुझे नहीं लगता कि ऐसी फिल्म अगर बनाई भी गई, तो दर्शक उसे स्वीकार करेंगे। मेरी पैदाइश अमृतसर की है। मैं बड़ा दिल्ली में हुआ हूं। दोनों जगह मेरे पंजाबी दोस्त हैं। मैं उनकी फैमिलीज में आता-जाता हूं और उनके यहां फंक्शन अटेंड करता हूं। यकीन मानिए, मैंने सिख कौम का कोई भी आदमी टेंशन में डूबा हुआ नहीं देखा। ज्यादातर लोग मस्त हैं। टेंशन इनके पास आई भी तो खुद ही से दूर भाग गई। ऐसे में अगर मैं अपनी फिल्म के लीड हीरो यानी सिंह साहब को सीरियस और टेंशन में रहने वाला कैरक्टर बना देता हूं तो मुझे नहीं लगता कि ऐसे किरदार को दर्शक पसंद करेंगे।
फिल्म वेलकम और हेराफेरी का सीक्वल करने की जगह आपने सिंह सीरीज व हाउसफुल को पहले करना चाहा। इसकी वजह?
नंबर एक वजह सिंह इज ब्लिंग का मेरी पिछली फिल्म से दूरदराज तक कोई वास्ता नहीं है। इस फिल्म की कहानी, पिछली कहानी और किरदार से अलग हैं। उनका आपस में कोई संबंध नहीं। इसके अलावा वेलकम और हेराफेरी का सीच्ल करने से मैंने कभी इनकार नहीं किया। हेराफेरी सीरीज की दोनों फिल्में मैंने ही की हैं, लेकिन इन फिल्मों की प्रॉडक्शन कंपनियों को मेरी जो डेट्स चाहिए थीं, वहीं डेट्स मैं पहले से किसी दूसरे बैनर को दे चुका था। रही बात हाउसफुल सीरीज की अगली फिल्म की, तो इस पर पिछले लंबे वक्त से काम चल रहा है। फिल्म की स्क्रिप्ट और किरदार फाइनल हो चुके हैं। इस फिल्म की प्रोडक्शन कंपनी ने मुझे अप्रोच किया और अपनी फिल्म की शूटिंग स्टार्ट होने की अल्टरनेटिव डेट्स को मुझसे डिस्कस किया। फिर सब कुछ सेटल होने के बाद ही मैंने हाउसफुल साइन की।
पर बार-बार कॉमिडी फिल्म?
अरे भाई, करीब ढाई साल हो गए हैं मुझे कॉमिडी करते हुए। पिछली फिल्में स्पेशल 26, हॉलिडे, बेबी, गब्बर इज़ बैक के बाद हालिया फिल्म ब्रदर्स में मैंने हर बार डिफरंट किरदार किया। वैसे सिंह इज ब्लिंग को मैं टोटल कॉमिडी फिल्म नहीं कहूंगा। यह एक एंटरटेनर फिल्म है। हालांकि इस बात में कोई शक नहीं है कि मुझे रियल सिनेमा पसंद है, लेकिन कॉमिडी को छोडऩा मुझसे हो नहीं पाता। मुझे डार्क कॉमिडी काफी पसंद है और दिलचस्प बात यह कि मेरी हर किस्म की फिल्म के दर्शक मुझे मिल जाते हैं।
आप कहते आए हैं कि 100 करोड़ क्लब में पहुंचने की रेस से आप बाहर हैं पर क्या बॉक्स ऑफिस पर फिल्में इन्हीं दर्शकों की वजह से हिट हो जाती हैं, इसका फॉर्म्युला बताएंगे?
दर्शकों का प्यार तो है ही। इसके अलावा मैं अपनी फिल्में एक तय बजट में बनाता हूं, ताकि कमाई ज्यादा हो या कम, बात मुनाफे की ही हो। मैं ऐसे डायरेक्टर्स के साथ काम करना पसंद करता हूं, जो 35-40 करोड़ में फिल्म निपटा दें। चूंकि, मैं फिल्में सिर्फ पैसा कमाने के लिए करता हूं तो फिल्म की कमर्शल बैकिंग पर मेरी हमेशा नजर रहती है। ऐसा न होता, तो मैं डॉक्युमेंट्री फिल्में ही न बनाने लगता। इन सबके बावजूद मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्मों में हल्का फन हो और एक अच्छा मेसेज भी।
आप एक ही साल में चार फिल्में निपटा देते हैं। इस लिहाज से दो फिल्मों की शूटिंग तो अक्सर चलती होंगी?
बिल्कुल नहीं, मैंने अपने लिए कुछ नियम बनाए हैं। इनमें मेरा एक रूल यह भी है कि एक वक्त में एक फिल्म करनी है। सिंह इज ब्लिंग कंप्लीट हुई तो मैंने अपने बैनर की अगली फिल्म एयरलिफ्ट पर काम शुरू किया। अब तक इस फिल्म की सत्तर फीसदी शूटिंग पूरी कर ली है। दिसंबर तक फिल्म कंप्लीट करके हाउसफुल-3 की शूटिंग शुरू करूंगा।
सुनने में आया था कि फिल्म ओह माई गॉड करने के बाद आपने पूजा पाठ बंद कर दिया?
यह सरासर गलत है। जब यह फिल्म रिलीज हुई, तो उस वक्त मुझे हर दिन ऐसे मेसेज और मेल आते थे कि हमने फिल्म देखने के बाद मंदिर में दूध चढ़ाना बंद कर दिया है। कुछ यंग फैन्स ने मंदिर या गुरुजी के आश्रम में दान देने के बजाए गरीबों की मदद करना शुरू कर दिया। तो मुझे लगा कि फिल्म सफल रही। मैं मानता हूं कि आप किसी संस्था को दान में रकम देते हैं, तो आपको नहीं मालूम कि आपका दिया दान किसके पास और कहां जाता है, तो फिर उसी अमाउंट को आप अपने हाथों से जरूरतमंदों को क्यों नहीं देते। मैंने बचपन से अपने माता-पिता से मंदिर का अर्थ मन के अंदर ही समझा है। ऐसा कौन सा शख्स होगा, जो अपने सीने पर हाथ रखकर कहेगा कि मेरे अंदर भगवान नहीं है। मैं भी बरसों से हर साल एक धार्मिक यात्रा पर जाता था। कई बार तो साल में दो बार भी चला जाता था। कुछ अरसे बाद मुझे लगा कि अपने इस सालाना धार्मिक टूर पर मैं जो चार लाख रुपए खर्च करता हूं, क्यों न इस रकम को मैं अपने स्टाफ में बांट दूं इसलिए मैं कहूंगा कि मेरा नजरिया और तरीके बदल गए हैं।
सुनते हैं कि फिल्म में आपको शराबी का किरदार निभाना सबसे मुश्किल लगता है?
मैंने कभी चाय, कॉफी, सिगरेट नहीं पी। ऐसे में जब किसी फिल्म में शराबी का रोल करना पड़ता है, तो अजीब महसूस करता हूं। अब जब इस इंडस्ट्री में हूं, तो सब कुछ करना भी पड़ता है, लेकिन ऐसा किरदार निभाना मुझे यकीनन पसंद नहीं।
इंडस्ट्री में आपका 26वां साल है। इस दौरान काम की पसंद में कोई चेंज आया?
सच कहूं तो मैं शुरू से ही अच्छे रोल करने का लालची रहा हूं। ब्रदर्स के लिए चौदह किलो वजन घटाया, तो अगली फिल्म के लिए बढ़ाना पड़ा। मुझे हवाई जहाज में बिजेनस क्लास में बैठकर सुकून मिलता है। बरसों तक हवाई जहाज में बैठने को तरसा हूं, लेकिन मेरे बेटे आरव के लिए एयर सफर एक रुटीन है। आरव खुशकिस्मत है कि मैं उसे यह सब दे पा रहा हूं, लेकिन मैंने सब कुछ कोशिशों के बाद पाया है इसलिए मैं अपनी चीजों को लेकर क्रेजी रहता हूं और पैसा खर्च करने से पहले सौ बार सोचता हूं।
वाइफ ट्विंकल की नजर में तो आप किसी सुपरस्टार से कम नहीं होंगे?
(हंसते हुए) फैन्स ने मुझे स्टार बना दिया है, लेकिन मैरिज के बाद से मेरे घर में राजेश खन्ना जी सुपर स्टार थे और वही रहेंगे। ट्विंकल अक्सर कह देती है कि मुझमें उसके पापा जैसा कोई गुण नहीं है। मैं इस बात का जरा भी बुरा नहीं मानता, क्योंकि मैं जानता हूं कि हर बेटी के लिए उसका पिता ही एक रियल हीरो होता है। बेटियों को हमेशा लगता है कि उनके पापा की खूबियां उनके पति में नहीं हो सकतीं।
फिल्म के ज्यादा प्रमोशन से कितना फायदा होता है?
मेरा मानना है कि फिल्म प्रमोशन के लिए दस दिन बहुत होते हैं। इस दौरान फैन्स से मिलने का मौका मिलता है। कई बार प्रमोशन के दौरान ऐसे सवालों के भी जवाब देने पड़ते हैं कि दिल करता है कि सवाल करने वाले के बाल नोच लूं, क्योंकि वह ऐसा सवाल कर रहा है, जिसका मुझसे दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है। खैर, फिल्मों के लिए प्रमोशन करना पड़ता है। मुझे 12 दिन से ज्यादा प्रमोशन करना बेकार लगता है। प्रमोशन के चक्कर में अपनी जान थोड़ी न दे दूंगा।