नाते-रिश्तेदारों के हाथों में राजनीतिक भविष्य की चाभी

panchayat_election newश्रीधर अग्निहोत्री, लखनऊ। प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनावों में इस बार कई राजनेताओं के भविष्य का फैसला उनके नाते रिष्तेदार करने जा रहे हैं। पंचायत चुनावों में वंषवाद को बढ़ावा देते हुए चाहे वह सत्ता पक्ष के हों अथवा विपक्ष के नेता हों, अपनी पत्नी, बेटों, बेटियों और बहुओं को इस जंग के मैदान में उतार दिया है।
प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले सपा सरकार के कई मंत्रियों के नाते रिश्तेदार पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यह फैसला इन प्रत्याशियों ने अपने रिश्तेदार राजनेताओं के इशारे पर ही लिया है। अब सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को ही लीजिए। इनके छोटे भाई राजपाल यादव के बेटे अंशुल यादव पहली बार राजनीतिक मैदान में उतरे हैं। वह सैफई में जिला पंचायत सदस्य के पद पर प्रत्याशी बने हैं। जबकि कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप के बड़े भाई अशोक कुमार सिंह बाराबंकी, राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के छोटे भाई मुकेश अग्रवाल एक बार फिर पंचायत चुनाव के मैदान में उतरे हैं। हांलाकि मुकेश पहले भी पंचायत का चुनाव जीत चुके हैं। आजमगढ़ से विधायक और अखिलेश सरकार में मंत्री पद पर कायम दुर्गा प्रसाद यादव के भतीजे प्रमोद यादव आजमगढ़ में, शाहजहांपुर में मंत्री राममूर्ति वर्मा की बहू अर्चना यादव तथा एक और मंत्री शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश मंजूर मेरठ में पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह एक और मंत्री योगेश प्रताप सिंह की पत्नी विजय लक्ष्मी सिंह गोण्डा में पंचायत चुनाव प्रत्याशी हैं।
सपा सरकार के मंत्रियों की सूची यहीं पर खत्म नहीं होती है। माध्यमिक षिक्षा मंत्री महबूब अली के कई रिश्तेदार अमरोहा में पंचायत चुनाव में अलग अलग हिस्सा ले रहे हैं। जबकि मंत्री पारसनाथ यादव की पत्नी हीरावती यादव, बेटों ओम यादव और वेद यादव, बहू पम्मी यादव को अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव मैदान में अपनी किस्मत की चाभी सौंपी है। बस्ती जिले में अपना अच्छा खासा दबदबा रखने वाले मंत्री राजकिशोर सिंह ने अपने पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह को यहां पर प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह पुराने समाजवादी नेता और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद अपने पुत्र को पंचायत चुनाव में उतारकर राजनीतिक पारी की शुुरूआत करवा रहे हैं। प्रदेश की राजनीति का केन्द्र लखनऊ के विधायक राजेन्द्र यादव ने अपनी बेटी को इस चुनाव में उतारा है। इनके अलावा चित्रकूट में विधायक वीर सिंह पटेल की पत्नी सविता देवी भी चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह जालौन में चन्द्रपाल सिंह यादव के भाई शिशुपाल सिंह और पत्नी ज्ञानवती यादव के चुनाव मैदान में उतरने की बात कही जा रही है।
ऐसा नहीं है कि राजनेताओं के नाते रिश्तेदारों के पंचायत चुनाव में उतरने का काम केवल सत्ता पक्ष की तरफ से ही हो रहा हो, विपक्ष में पूर्व मंत्रियों और विधायकों के नाते रिश्तेदार भी लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सेदारी लेने में पीछे नहीं हैं। मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र और नसीमुद्दीन सिद्ीकी के नाते रिश्तेदार इस चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पत्नी केतकी देवी तथा बसपा के राज्यसभा सदस्य वीर सिंह की पत्नी और बेटे को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा के कई अन्यनेताओं के रिश्तेदार चुनाव मैदान में है। इसके अलावा प्रदेश में अपनी राजनीतिक ताकत मजबूत करने पर लगी कांग्रेस के कई नेताओं प्रमोद तिवारी, निर्मल खत्री, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई अन्य पार्टी नेताओं के नाते रिश्तेदार अपने राजनीतिक आकाओं के दम पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।