नक्सली खौफ: गांवों में नहीं पहुंच रही हैं सुविधाएं

naxalसुधीर जैन, जगदलपुर। बस्तर अंचल के दूरस्थ वन ग्रामों में किसी भी तरह की सुविधाएं नहीं पहुंच रही है। जमीनी कार्यकर्ता व पहाड़ी नालों और नक्सली दहशत की वजह से इन गांवों में नहीं जा पा रहे हैं। पानी बरसात के कारण स्कूली व्यवस्था भी चरमराई हुई है।
बस्तर वन मंडल का बड़ा हिस्सा सीमावर्ती ओडि़सा राज्य की सीमा से लगा है। इस क्षेत्र के गुमलवाड़ा, गुडिय़ा, कोलेंंग, पुलचा, तोलावाड़ा, कालागुड़ा, करकागुड़ा आदि दर्जन भर गांव नक्सल प्रभावित भी है। बारिश के कारण उपरोक्त ग्राम जहां एक तरफ ग्राम वन मंडल व अन्य गांवों से कटे हुए है, वहीं दूसरी तरफ नक्सली दहशत के कारण स्वास्थ,पीएचई, वन, पंचायत, महिला एवं बाल विकास विभाग आदि के जमीनी कार्यकर्ता भी वनग्रामों की ओर नहीं जा पा रहे हैं। जगदलपुर साप्ताहिक बाजार में जंगली साग-भाजियां बेचने आई ग्राम पुलचा, गुडिय़ा और तोलावाड़ा की महिलाओं ने बताया कि लाखों रूपये खर्च कर गुडिय़ा और नानगुर के मध्य सड़क बनाई गई है किन्तु घटिया निर्माण के चलते सड़क अभी से खराब हो गई है। इस पर साईकल चलाना भी मुश्किल है। लोग पैदल ही लंबी दूरी तय कर रहे हैं। पुलचा की महिलाओं ने बताया कि बस्ती का सोलर पंप सेट पिछले 8 माह से बंद पड़ा है। इसलिए लोग गढ्ढे का पानी पी रहे हैं। चूङ्क्षक बस्ती में अलग से कोई हैण्डपंप भी नहीं हैै। तोलावाड़ा का हाल भी यही है। बताया गया है कि बीते 3 महीने में कोई सरकारी कर्मचारी तो दूर संबंधित पंचायत के सरपंच, सचिव भी उनके गांव की तरफ नहीं आए हैं। बच्चे और कई महिलाएं बुखार आदि से पीडि़त है। गांव की मितानिनों के पास भी दवाईयां नहीं है। वह 15 से 25 किमी दूर नानगुर या धनपूंजी जाकर दवा लाना नहीं चाहती है। इस वनांचल के कई नालों में पुलिया का अभाव है और इन दिनों इन नालों में तेज प्रवाह है, इसलिए बच्चे मिडिल स्कूल नहीं जा रहे हैं, वहीं ग्रामीणों को भी राशन लाने में परेशानी हो रही है। ज्ञात हो की नक्सलियों ने कटाई के बाद वन विभाग को गोला ल_ा उठाने नहीं दे रहे है, इसलिए जंगल विभाग के लोग भी इन गांवों की ओर जाने से डर रहे है।