यूपी सरकार उर्दू अकादमी को देगी आर्थिक मदद: अखिलेश

cm 7 octलखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि देश की आजादी में हिन्दी एवं उर्दू भाषा का महत्वपूर्ण योगदान था। जनसामान्य द्वारा बोली एवं समझी जाने वाली इन भाषाओं के विकास के लिए राज्य सरकार हर सम्भव सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा की राज्य सरकारों ने हिन्दी, उर्दू, संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं के विद्वानों को हमेशा प्रोत्साहित एवं सम्मानित किया। जबकि पिछली राज्य सरकार के समय में विद्वानों को सम्मानित करने की यह परम्परा बंद कर दी गई थी, जिसे वर्तमान राज्य सरकार ने पुन: बहाल करते हुए पुरस्कार राशि को भी दो गुना कर दिया।
मुख्यमंत्री बुधवार को हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट 2015 की परीक्षा में उर्दू विषय में अपने-अपने जनपद में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं एवं इनके शिक्षकों को पुरस्कृत करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने हाईस्कूल के 103 तथा इण्टर के 86 छात्र-छात्राओं को 5,100-5,100 रुपए का चेक, प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो एवं 83 शिक्षकों को क्रमश: 2,100-2,100 रुपए का चेक एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। उन्होंने हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट 2015 की परीक्षा में उर्दू एवं हिन्दी विषय में अपने-अपने जनपदों में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देने की घोषणा भी की। सीएम ने कहा कि आजादी के संघर्ष में उर्दू भाषा ने हिन्दी के साथ मिलकर देश को आजाद कराने के लिए तथा स्वतंत्रता आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन इतिहास में कुछ लोग ही अमर हो पाए, बाकी लोगों को भुला दिया गया। उर्दू एक ऐसी भाषा है जो, समाज को जोडऩे एवं समाज में सद्भाव कायम करने में हमेशा आगे रही है। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् को जरूरत के हिसाब से आर्थिक मदद उपलब्ध कराई है। इसी प्रकार उर्दू अकादमी को भी आर्थिक मदद दी जाएगी। दुनिया के विकसित देशों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अपनी भाषा के माध्यम से ही ये देश आज की स्थिति में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश का मजदूर, गरीब, किसान एवं जनसामान्य उर्दू एवं हिन्दी जुबान ही बोलता है, इसलिए प्रदेश की तरक्की के लिए इन भाषाओं का विकास करना तथा इन्हें प्रतिष्ठा के अनुरूप स्थान दिलाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। तभी समाज की परम्परा, संस्कृति एवं भाईचारा कायम रह सकता है।