मुलायम के बाद शिवपाल पर हाईकोर्ट हुआ सख्त

shivpalyadavलखनऊ। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बाद अब उनके छोटे भाई और यूपी सरकार में काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव पर हाईकोर्ट ने रंदा धर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा शिवपाल को राज्य भंडारण निगम का चेयरमैन बनाये जाने पर आपत्ति जाहिर करते हुए चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाये हैं। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पूरे राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मचा है। कोर्ट ने भंडारण निगम में हुई नियुक्तियों में संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) का पालन किए जाने पर भी सरकार से जवाब मांगा है। याचिका पर दो नवंबर को अगली सुनवाई होगी।
प्रदेश के लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, राजस्व तथा सहकारिता मंत्री शिवपाल यादव को राज्य भंडारण निगम का अध्यक्ष बनाने के मामले में हाईकोर्ट ने उनके कार्यकाल के दौरान न सिर्फ नियुक्ति संबंधी सभी रिकार्ड तलब कर लिए हैं बल्कि सरकार से पूछा है कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत सरकार ने यह निर्णय लिया। कोर्ट ने भंडारण निगम में निदेशकों, प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया, उनकी अर्हता और सरकार के अधिकारों पर भी जानकारी तलब की है। इस मामले में कोर्ट ने मुख्य सचिव आलोक रंजन से यह भी बताने के लिए कहा है कि नियुक्तियों के लिए कौन से विशेष नियम-कानून किन प्रावधानों के तहत बनाए गए हैं। महेश्वरी प्रसाद राय की याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट ने जब इस मामले की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि राज्य भंडारण निगम में नियुक्तियों के लिए प्रदेश सरकार ने कोई नियम कानून ही नहीं है। सरकार को भंडारण निगम एक्ट की धारा 41(1) के तहत नियम बनाने की शक्ति प्राप्त है। इसके तहत निर्धारित प्रक्रिया अपना कर निदेशकों, प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है।
निगम में अध्यक्ष की नियुक्ति संबंधित मूल दस्तावेज देखने के बाद पीठ का कहना था कि सहकारिता मंत्री ने स्वयं लल्लन राय को अध्यक्ष बनाने की संस्तुति के साथ फाइल मुख्यमंत्री के समक्ष भेजी थी। फाइल पर मुख्यमंत्री ने सहकारिता मंत्री को ही अध्यक्ष/निदेशक बनाने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा है कि सरकार ने कानून की ऐसी कौन सी प्रक्रिया का पालन किया है जिसके तहत बिना नियमावली बनाए इस प्रकार की नियुक्तियां की जा सकती हैं।