दीपावली: जानें कैसे करें पूजन, कब हैं शुभ मुहूर्त

diwali poojaफीचर डेस्क। इस साल दीपावली 11 नवम्बर सन् 2015 को कार्तिक कृष्ण अमावस्या बुधवार को मनाई जायेगी। दीवाली के उपलक्ष्य में लक्ष्मी पूजन के अलावा कई अन्य पूजाएं भी होती हैं। सभी प्रमुख पूजाओं और रस्मों के लिये शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं। धनतेरस यानी धन त्रयोदशी इस वर्ष धनतेरस 9 नवम्बर दिन सोमवार 2015 को त्रयोदशी रात्रि 7.10 बजे तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडे के अनुसार चौघडिय़ॉ मुहूर्त इस प्रकार है: सांय 6.17 से 7.45 बजे तक। अमृत तथा रात्रि 9.10 बजे से 10.35 बजे तक शुभ। अपरान्ह 1.22 बजे से सांय 5.37 बजे तक चर चौघडिय़ा रहेंगी। इस समय नवीन व्यवसाय करना शुभ रहेगा दीपावली पूजन 11 नवंबर इस दिन अमावस्या रात्रि 11.16 बजे तक रहेगी। दीपावली के पूजन का मुख्य काल प्रदोष काल माना गया है। इस दिन प्रदोष काल रहने से स्थिर लग्न और ज्यादा बलवती हो जायेगी। इस दिन प्रदोष काल सांय 5.41 बजे से रात्रि 8.15 बजे तक है। स्थिर लग्न में पूजन करने वाले के लिए प्रथम स्थिर लग्न वृष सांय 5.58 बजे से 7.58 बजे तक रहेगी। दूसरी स्थिर लग्न सिंह अद्र्धरात्रि के बाद 12.28 बजे से रात्रि 2.35 बजे तक। महानिशीथ काल रात्रि 10.43 बजे से रात्रि 1.15 बजे तक रहेगा।
चौघडिय़ॉ मुहूर्त: चौघडिय़ॉ मुहूर्त के अनुरागियों को लाभ का समय रात्रि 7.19 बजे से रात्रि 11.57 बजे तक। इस लग्न में शुभ, अमृत, चर की चैघडिय़ॉ प्राप्त हो रही है। इस अवधि में महालक्ष्मी कुबेरादि व खाता पूजन करना सर्वथा हितकारी रहेगा।
भैया दूज का त्यौहार 13 नवम्बर को मनाया जायेगा। इस तारीख को पूरे दिन द्वितीया तिथि रहेगी। स्थिर लग्न में बहन-भाई को चूरा व मीठा खिलाने से प्यार स्थिर रहता है। सुबह 7 बजे से 09 बजे तक पहली स्थिर लग्न वृश्चिक रहेगी। दूसरी स्थिर लग्न कुम्भ मध्यान्ह 12.55 बजे से अपरान्ह 2.10 बजे तक रहेगी। इन दोनों स्थिर लग्नों में भैय्या दूज मनाना ज्यादा श्रेष्ठ रहेगा।
मंगलवार को पड़े पुष्य नक्षत्र के बाद अब खरीदारी का अगला मुहूर्त 9 नवंबर को धनतेरस पर पड़ेगा। इस बार धनतेरस पर अनोखा संयोग भी बन राह है, इस दिन सोम प्रदोष, चन्द्र प्रधान हस्त नक्षत्र और प्रीति योग है। यह योग संकेत दे रहा है कि इस दिन जो भी सामान खरीदा जाएगा वह परिवार के लिए शुभ साबित होगा और साथ ही पारिवारिक सदस्यों के बीच आपसी सामंजस्य भी बढ़ेगा। तेरह गुणा धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति शास्त्रीय मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, धनतेरस को भगवान धनवंतरि समुद्र से अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन पात्र (बर्तन) खरीदा जाए तो पात्र में जितनी धारण करने की क्षमता होती है उससे तेरह गुणा धन और ऐश्वर्य प्राप्त होने के योग बनते हैं।
चांदी व पीतल के बर्तन खरीदने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर स्वस्थ रहता है। भद्रा का कोई दुष्प्रभाव नहीं धनतेरस पर शाम के समय भद्रा है लेकिन कन्या की भद्रा होने के कारण इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। दीप दान से अकाल मृत्यु का भय नहीं माना जाता है कि शाम को प्रदोष काल में मृत्यु के देवता यमराज के नाम से दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। विशेष मुहूर्त में खरीदारी बढ़ाएगी समृद्धि, वैसे तो धनतेरस को अबूझ मुहूर्त माना गया है लेकिन विशेष मुहूर्त में की गई खरीदारी से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है इसलिए मुहूर्त को खास महत्व दिया जाता है।