कोहरे से बचाव के लिए ट्रेनों में लगेगा कोलिजन एवाडेंस डिवाइस

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लखनऊ। कोहरे में सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए अब ट्रेन कोलिजन एवाडेंस डिवाइस टिकैस लगाया जाएगा। अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन आरडीएसओ की इस रिसर्च को रेलवे बोर्ड ने पहली प्राथमिकता पर रखा है। ट्रेनों में इस डिवाइस के लग जाने से सिग्नल न मिलने पर अपने आप ब्रेक लग जाएगा। इस डिवाइस के जरिए कोहरे में ट्रेनों का सुरक्षित संचालन संभव हो सकेगा। सिकंद्राबाद डिवीजन में इस डिवाइस का परीक्षण किया जा रहा है। इस डिवाइस का परीक्षण 250 किमी लंबे ट्रैक पर किया जा रहा है। इस डिवाइस को 40 लोकोमोटिव में लगाया गया है। आरडीएसओ में पत्रकार वार्ता में यह बातें रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने कही। उन्होंने बताया कि वर्तमान में आरडीएसओ में 201 प्रोजेक्ट लंबित हैं। इन लंबित प्रोजेक्टों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा कराया जाएगा। चेयरमैन ने बताया कि कोहरे में ट्रेन संचालन का हमारा सिस्टम पुराना है। यह पूरी तरह से ट्रेन ड्राइवर के अलर्टनेस पर निर्भर है। टिकैस डिवाइस के जरिए कोहरे में सुरक्षित संचालन संभव हो सकेगा। टिकैस डिवाइस के जरिए ट्रेन ड्राइवर को केबिन में ही सिग्नल के होने या न होने का पता चल जाएगा। चेयरमैन ने बताया कि आरडीएसओ का दूसरी प्राथमिकता का प्रोजेक्ट अल्ट्रासोनिक फ्रेट डिटेक्शन को विकसित करने का है। एक सवाल के जवाब में चेयरमैन के साथ मेंबर ट्रैफिक ने बताया कि तत्काल टिकट बुकिंग के दौरान आईडेंटिटी प्रूव्ड करने वाली कोई भी आईडी दी जा सकेगी। तत्काल टिकओं की बुकिंग के दौरान आईडी की फोटो न देने संबंधी ऐसी कोई बात नहीं है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि रेलवे की वर्तमान में 11 हजार क्रासिंग अनमैंड हैं। जिन पर लगातार दुर्घटनाएं होती रहती हैं। क्रासिंग पार करते समय ट्रेन की दूरी को मिस जज करने से अधिकांश लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। अनमैंड क्रासिंग खत्म नहीं की जा सकती, इसलिए यहां पर अतिरिक्त सुविधाएं देना हमारी प्राथमिकता है।
चेयरमैन एके मित्तल ने बताया कि हमारे पास 250 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार की ट्रेन चलाने के लिए अभी हमारे पास नेटवर्क नहीं है और न ही टेक्नोलॉजी है। मुंबई-अहमदाबाद रेल मार्ग पर हाईस्पीड ट्रेन चलाने के लिए फिजीबिलिटी रिपोर्ट पर काम चल रहा है। 500 किमी के मुंबई-अहमदाबाद रेल मार्ग पर हाईस्पीड ट्रेन के लिए वर्तमान में 70 हजार करोड़ रुपए का बजट है। लेकिन योजना को पूरा होने में अभी कम से कम 8 साल लग जाएंगे। इसलिए इस योजना का अनुमानित बजट 98 हजार करोड़ रुपए आंका गया है। फिजीबिलिटी की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।