मोदी कैबिनेट का तीसरा विस्तार: रविवार को होगा शपथ ग्रहण

 

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को सुबह दस बजे अपनी कैबिनेट में फेरबदल करेंगे। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। मई, 2014 में केंद्र में उनके सत्ता संभालने के बाद यह कैबिनेट में तीसरा फेरबदल होगा। अधिकारी ने कहा, रविवार को सुबह करीब दस बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रक्रिया (तैयारी) शुरू हो गई है।
चार मंत्री-राजीव प्रताप रूडी, संजीव कुमार बालियान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्र नाथ पांडे इस फेरबदल से पहले इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा सूत्रों ने बताया कि इनके अलावा दो कैबिनेट मंत्री भी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। रेल भवन में रेल मंत्री सुरेश प्रभु के विदाई की चर्चा जोरों पर हैं।अधिकारियों का तर्क है कि मंत्री ने खाली पड़े महाप्रबंधकों और सदस्यों की नियुक्ति संबंधी फाइल को आगे नहीं बढ़ाया है इससे जाहिर होता है कि रेल मंत्री के पद से उनकी विदाई तय है। अगला रेल मंत्री कौन होगा यह मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही साफ होगा लेकिन इस समय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के रेल मंत्री बनने की अटकलें सबसे ज्यादा है। बताते है कि गडकरी ने रेल मंत्री नही बनने की इच्छा जताई है। इसके अलावा रेल मंत्री के लिए रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार रेल राज्य मंत्री एवं दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा का नाम की चर्चाएं है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारियां चल रही है। शनिवार की शाम को मंत्रिमंडल फेरबदल होने की संभावना है। नए रक्षा मंत्री पर सबकी निगाहें टिकी हैं। नए रक्षा मंत्री की दौड़ में ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल एवं रेल मंत्री सुरेश प्रभु बताए जा रहे हैं। रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार देख रहे वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरुवार को ही कह दिया था कि वे ज्यादा दिनों तक रक्षा मंत्री का कार्य नहीं देखेंगे। तभी ये साफ हो गया था कि नए रक्षा मंत्री की नियुक्ति होने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल व विस्तार में दो दर्जन से ज्यादा मंत्री प्रभावित होंगे। लगभग डेढ़ दर्जन नए मंत्री बनाए जाएंगे, जबकि सात से आठ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। नए मंत्रियों के लिए जिन नामों की चर्चा है उनमें सत्यपाल सिंह, आर के सिंह, सुरेश अगाड़ी, प्रहलाद जोशी, भूपेंद्र यादव, प्रहलाद पटेल, विनय सहस्त्रबुद्धे व महेश गिरी शामिल हैं। सहयोगी दलों जद (यू) का शामिल होना तय है, जबकि अन्नाद्रमुक का फैसला होना बाकी है। शिवसेना व तेलुगुदेशम को विस्तार में लाभ हो सकता है।