दिल्ली की यातायात अदालतें भंग: 55 हजार केस पेंडिंग

 

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां की सभी 13 यातायात अदालतों को भंग कर दिया है। यह आदेश कल से ही प्रभावी हो जाएगा। इन अदालतों में यातायात नियमों के उल्लंघन से जुड़े 55,000 से अधिक मामले लंबित थे जिनकी सुनवाई अब नियमित मजिस्ट्रेट अदालतें नियमित मामलों की तरह करेंगी। अदालती सूत्रों ने बताया कि यातायात अदालतों में नियुक्त कुछ मजिस्ट्रेटों से लंबे समय से मिल रही शिकायतों के बाद यह निर्णय लिया गया है। अदालतों के प्रशासनिक कामकाज से संबद्ध इन सूत्रों का कहना था कि इन मजिस्ट्रेटों ने मुख्य धारा के मजिस्ट्रेट कार्य में लाये जाने की अपनी इच्छा प्रकट की थी और अपना प्रोफाइल बदले जाने की मांग की थी।
लेकिन इस फैसले के पीछे जो आधिकारिक कारण बताया गया है, वह न्यायिक प्रणाली में और पारदर्शिता लाना तथा यातायात संबद्ध मामलों को नियमित अदालतों में स्थानांतरित कर उन्हें वाद अनुकूल बनाना है। सभी यातायात अदालतें दिल्ली की छह जिला अदालतों में स्थित हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय के महापंजीयक दिनेश कुमार शर्मा ने पीटीआई भाषा को बताया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने इन 13 अदालतों को निरस्त करने का फैसला किया है।