यूपीकोका विधानसभा में पेश: विपक्ष का हंगामा

लखनऊ। उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में सगंठित अपराध रोकने के लिए उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017 , (उप्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट -यूपीकोका) लागू करने के लिए विधेयक बुधवार को विधानसभा में पेश कर दिया है।
प्रदेश की कानून व्यवस्था का सवाल उठाने वाले विपक्षी दल विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहें है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा है कि इस कानून से भाजपा अपना राज चाहती है, इसका डर दिखाकर वो विपक्ष को कमजोर करने का साजिश रच रही है। पहले से इतने कानून हैं उन्हें लागू नहीं करवा पा रही है। अपनी कमियों को छुपाने के लिए यूपीकोका लेकर आई है।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बनाये गये यूपीकोका का इस्तेमाल सर्व समाज के गरीबों, दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि इस कारण बसपा इस नए कानून का विरोध करती है तथा व्यापक जनहित में इसे वापस लेने की मांग करती है। याद रहे उप्र की मुख्यमंत्री रहते मायावती ने 2008 में उप्रकोका का मसौदा पेश किया था। लेकिन उसे मंजूरी नही मिली थी। इतना ही नही आतंकवाद रोकने के लिए बने पोटा कानून का प्रदेश में पहला राजनीतिक इस्तेमाल भी मुख्यमंत्री रहते मायावती ने 2002 में निर्देलीय विधायक राजाभैया के खिलाफ किया था।
यूपीकोका सख्त कानून है। जिसमें विवेचना के दौरान ही आरोपी अपराधी की सम्पत्ति जब्त करने का भी प्रावधान होगा। वहीं जोनल आईजी की अनुमति से ही विवेचक कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर सकेंगे। अपीलीय प्राधिकरण का गठन होगा। संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर नियंत्रण और निगरानी के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण की स्थापना होगी। डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तर पर जिला संगठित अपराध नियंत्रण की स्थापना का प्रावधान है। हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण का गठन भी किया जाएगा।