श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। तहसील परिसर में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में वकीलों तथा बैनामा लेखकों में व्याप्त असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। तहसीलदार तथा तहसील प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ तहसील के वकील तथा बैनामा लेखक अब धरने पर बैठ गए हैं । वकीलों तथा बैनामा लेखकों का सीधा आरोप है कि तहसील में कोई भी काम बिना रिश्वत लिए तथा बिना टालमटोल के नहीं किया जाता जिसके कारण उनके लिए अपनी सेवाएं प्रदान करना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि तहसील दिल्ली की बहुत सारी पत्रावलीयां गायब है जिनके बारे में वर्तमान नहीं कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस संदर्भ में तहसील बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष के अनुसार अधिवक्ताओं तथा बैनामा लेखकों में वर्तमान में व्याप्त रोष बिल्कुल जायज है क्योंकि यह वास्तविकता है कि इस समय तहसील प्रशासन में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है । धरने पर बैठे अधिवक्ताओं द्वारा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर न्याय दिलवाने तथा भ्रष्टाचार समाप्त करने की मांग की गई है। अधिवक्ताओं का स्पष्ट कहना है कि यदि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए त्वरित कार्यवाही नहीं की गई तथा इस विषय पर यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे । इस धरना प्रदर्शन में तहसील बार एसोसिएशन के सह सचिव सावन कुमार तेवतिया, उपाध्यक्ष बलराज सिंह कसाना, कोषाध्यक्ष दीपक वाष्र्णेय, बैनामा लेखक रामानंद गोयल, योगेश कुमार भाटी, लोमेश कुमार भाटी, रमेश यादव, योगेश कुमार त्यागी, कुणाल त्यागी, विकास त्यागी के अलावा काफी संख्या में अधिवक्ता तथा बैनामा लेकर मौजूद रहे ।
भ्रष्टाचार के विरोध में तहसील में बैठे वकील व बैनामा लेखक
