सुषमा की यूनओ में दहाड़: आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं

sushma-_new_imgनेशनल डेस्क। भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए भाषण में कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस साल 70 साल पूरे कर रहा है। उम्मीद करती हूं कि इस साल जो निर्णय लिए जाएंगे, वे ऐतिहासिक होंगे। स्वराज ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र की इस बात के आभारी हैं कि उसने महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस घोषित किया है। सभा के 70 साल पूरे होने पर हमें यह देखना कि क्या हम उन उद्देश्यों को पूरा कर पाए जिसके लिए इसका गठन हुआ था। विदेश मंत्री ने कहा कि रंगभेद हटाने, गरीबी को दूर करना, लोकतंत्र को बढ़ावा जैसे कदमों को हासिल करने में यूएन को जरूर सफलता मिली है, लेकिन दुनियाभर में क्या चल रहा है, उसको नंजरअंदाज किया जा सकता है, तो उसका सामूहिक जवाब होगा नहीं।
उन्होंने कहा, भारत ने यूएन के कामों में बहुत योगदान दिया है। हमने यूएन के शांति मिशनों के लिए 8 हजार सैनिक उपलब्ध करवाए हैं जो दुनिया के दस देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हम और योगदान देने के लिए तैयार हैं। स्वराज ने कहा कि हालांकि यह दुखद है कि जो देश शांतिसैनिक उपलब्ध करवाते हैं, वे कोई निर्णय लेने में भूमिका नहीं निभा सकते। इस दिन मैं उन लोगों को श्रद्धांजलि देना चाहती हूं जिन्होंने दुनियाभर में शांति के लिए अपनी जान दे दी। सुषमा ने कहा कि भारत शांति के लिए पिछले 25 सालों से अपने सैनिक दुनियाभर में भेजता रहा है। हम पिछले 25 सालों से आतंकवाद का दंस झेल रहे हैं। न्यूयॉर्क भी आतंकी हमला झेल चुका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भविष्य इस बात पर निर्भर है कि आज हम सबसे बड़े खतरा आतंकवाद से कैसे निपटते हैं। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसे देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी जो आतंककारियों को पनाह देते हैं, उन्हें प्रशिक्षण देते हैं या फिर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में मदद मुहैया करवाते हैं। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, 2008 में भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकी हमले में सिर्फ आम लोग ही नहीं मरे, बल्कि आतंकी भी मारे गए। इस जघन्य घटना को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड अभी भी आजाद घूम रहे हैं। सुषमा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जवाब देते हुए कहा कि हमने दो जिंदा आतंकी पकड़े हैं और पता है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के चार बिंदुओं की जरूरत नहीं है। आतंकवाद को रोकें और फिर बातचीत करें।