फीचर डेस्क। झारखंड की राजधानी से 18 किलोमीटर की दूरी पर, रांची-पतरातू मार्ग के पिठौरिया गांव में 2 शताब्दी पुराना राजा जगतपाल सिंह का किला है। किसी जमाने में 100 कमरों वाला विशाल महल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसके खंडहर में तब्दील का कारण इस किले पर हर साल बिजली गिरना है। आश्चर्य जनक रूप से इस किले पर दशकों से हर साल बिजली गिरती आ रही है जिससे की हर साल इसका कुछ हिस्सा टूट कर गिर जाता है। दशकों से ऐसा होते रहने के कारण…
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साल में एक बार खुलता है आलोर मंदिर का पट
रविशंकर शर्मा, रायपुर/जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में आलोर, फरसगांव स्थित एक ऐसा दरबार है, जहां का दरवाजा साल में एक ही बार खुलता है। लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खुलते ही पांच व्यक्ति रेत पर अंकित निशान देखकर भविष्य में घटने वाली घटनाओं की जानकारी देते हैं। रेत पर यदि बिल्ली के पंजे के निशान हों तो अकाल और घोड़े के खुर के चिह्नï हो तो उसे युद्ध या कलह का प्रतीक माना जाता है। पीढिय़ों से चली आ रही इस विशेष परंपरा और लोकमान्यता के कारण भाद्रपद माह में एक…
Read Moreमंदसौर जहां मदरसों में गूंजता है गायत्री मंत्र
संदीप पौराणिक, मंदसौर। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना इसे भले ही सियासत करने वाले न समझें, मगर समाज इसे बखूबी समझता है, यही वजह है कि मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मदरसों में गायत्री मंत्र से लेकर सोलह संस्कारों तक की गूंज सुनाई देती है। आमतौर पर मदरसों का जिक्र आते ही एक खास धर्म की तस्वीर दिमाग में उभरने लगती है, लोगों को लगता है कि यहां सिर्फ मुस्लिम धर्म की शिक्षा दी जाती है, मगर मंदसौर के मदरसे इस धारणा को झुठला रहे हैं। इस…
Read Moreपहाड़ की यात्रा रोमांचक बनाना है तो घूमिये रानीखेत
फीचर डेस्क। उत्तराखण्ड का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है रानीखेत। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक हिल स्टेशन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है। रानीखेत से सुविधापूर्वक घूमने के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुंचा जा सकता है। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहां विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फौजी छावनी भी है जो गोल्फ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। रानीखेत आने वाले…
Read Moreछत्तीसगढ़ में दो हजार साल पुराना है गणेश पूजा का इतिहास
रायपुर। छत्तीसगढ़ में गणेश पूजन का इतिहास काफी पुराना है। राज्य के सिरपुर में मिले गणेश प्रतिमाओं में एकदंत गणेशजी का दांत बाईं ओर दिखाया गया है। वहीं बस्तर संभाग के बारसूर स्थित गणेश की मूर्ति विश्व की तीसरी सबसे बड़ी गणेश की मूर्ति है। बारसूर की यह प्रतिमा एक पत्थर से ही निर्मित है। वहीं भोरमदेवगुड़ी (बीजापुर) में गणेशजी की विशाल मूर्ति किरीट मुकुट धारण किए हुए हैं। वहीं पुरातत्वविद् डॉ. अरुण शर्मा के अनुसार सिरपुर, राजिम की खुदाई में गणेश की बहुत सारी मूर्तियां मिली हैं। इन मूर्तियों…
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