फीचर डेस्क। कंगना रनौत के रिएलिटी शो लॉक अप की कंट्रोवर्सियल कंटेस्टेंट पूनम पांडे लगातार सुर्खियों में हैं। हाल ही में शो के अंदर उन्होंने अपने पति सैम बॉम्बे को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए थे। लॉक अप के पिछले एपिसोड में अब पूनम पांडे ने कुछ ऐसा कह दिया है कि अब उसी की ही चर्चा हो रही है। दरअसल अंजलि अरोड़ा और तहसीन पूनावाला से बात करते हुए पूनम पांडे ने बताया है कि उन्हें अपने काम की वजह से क्या-क्या फेस करना पड़ता है? पूनम ने इस…
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आकांक्षी जिला कार्यक्रम से देश के विकास को मिल रही है रफ्तार
प्रहलाद सबनानी। भौगोलिक दृष्टि से भारत एक विशाल देश है। वर्ष 1947 के बाद से पिछले 74 वर्षों के दौरान देश के कई इलाके विकास की दृष्टि से बहुत पिछड़ गए थे। इन इलाकों में भी विकास को गति प्रदान करने एवं इन अति दुर्गम एवं पिछड़े इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया था। इन पिछड़े जिलों को ही आकांक्षी जिले का नाम दिया गया क्योंकि इन जिलों में विकास की…
Read Moreटिप्स के नए वीडियो ज़हर में अनूठा प्रयोग
अनिल बेदाग़। टिप्स ओरिजनल और टिप्स हरयाणवी का हाल ही में रिलीज़ हुए वीडियो एल्बम “ज़हर” हिट की श्रेणी में आ गया है। यह गीत एक मिनट के भीतर डिस्को शैली से एक रेट्रो शैली में चला जाता है, यह आपको एक शैली से दूसरी शैली में ले जाता है जिससे आप मिनटों में अलग-अलग भावनाओं का अनुभव कर सकते हैं। अद्भुत रचना के अलावा और वोकल्स, बैकग्राउंड म्यूजिक भी कमाल का है। विश्वजीत चौधरी और किरण कहती हैं “ज़हर एक ऐसा गीत है जो मुख्यधारा के लेबल में नहीं…
Read Moreराम गोपाल वर्मा की लेस्बियन पर बनी फिल्म डैंजरर्स रिलीज के लिए तैयार
अनिल बेदाग़,मुंबई। भारत में पहली बार लेस्बियन लव स्टोरी पर बनी राम गोपाल वर्मा की मोस्ट कॉन्ट्रोवर्शियल फिल्म डेंजरस :खतरा आखिरकार 8 अप्रैल 2022 को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार हैं। अपने बोल्ड सब्जेक्ट और महिला समलैंगिक प्रेम कहानी को लेकर फिल्म सेंसर बोर्ड से पास होने के इंतजार में थी और फिर सर्टिफिकेट के साथ इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास किया। राम गोपाल वर्मा ने ट्विटर के जरिए फिल्म की पोस्टर पर रिलीज डेट सांझा कर खुशी जताई हैं। हाल ही में अपने इंटरव्यू में…
Read Moreनागरिकों को स्वावलम्बी बनाने के लिए अब स्वयंसेवी संगठन भी आ रहे हैं आगे
प्रहलाद सबनानी। अतिप्राचीन भारत के आर्थिक परिदृश्य में मुद्रा स्फीति, बेरोजगारी, नागरिकों में आय की असमानता एवं राज्य में वित्तीय असंतुलन जैसी समस्याओं का वर्णन लगभग नहीं के बराबर मिलता है। उस समय लोग बहुत ही सुखी, सम्पन्न एवं स्वावलम्बी थे तथा नागरिक सामान्यत: ग्रामीण इलाकों में आपस में मिल जुलकर रहते हुए प्रसन्नता पूर्वक अपना जीवन निर्वहन करते थे। प्रकृति से उतना ही लिया जाता था जितना आवश्यक होता था अर्थात उस समय नागरिक प्रकृति का दोहन करते थे, न कि शोषण जैसा कि आजकल होता दिखाई दे रहा…
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