ललित गर्ग। देश में भ्रष्टाचार पर जब भी चर्चा होती है तो राजनीति को निशाना बनाया जाता है। आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद भी हम यह तय नहीं कर पाये कि भ्रष्टाचार को शक्तिशाली बनाने में राजनेताओं का बड़ा हाथ है या प्रशासनिक अधिकारियों का? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को समाप्त करने की योजनाओं को लेकर सक्रिय है, लेकिन वे इसके लिये अब तक राजनेताओं को ही निशाना बनाते रहे हैं, यह पहली बार हो रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।…
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गंगा से निकला शिवलिंग: उमड़ी भीड़
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में नमामि गंगे के तहत घाट सुंदरी कारण व गंगा सफाई अभियान चलाया जा रहा है। सफाई अभियान के तहत कोयला घाट स्थित गंगा तट पर सफाई के दैरान खुदाई करते समय प्राचीन अष्टधातु का शिवलिंग निकला। इस जानकारी के बाद पुरातत्व विभाग अफसरों व श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई। पुरातत्व विभाग शिवलिंग के इतिहास का पता करने में जुट गए। जानकारी के अनुसार कानपुर में प्रदूषित गंगा को अविरल बनाने की कवायद तेजी से चल रही है, जिसमें ‘नमामि गंगे‘ योजना के तहत…
Read Moreन्याय की धीमी गति पर खड़े हुए सवाल
ललित गर्ग। देश में कानून प्रक्रिया की धीमी एवं सुस्त गति एक ऐसी त्रासदी बनती जा रही है, जिसमें न्यायालयों में न्याय के बजाय तारीखों का मिलना, केवल पीडि़त व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि समूची व्यवस्था को घायल कर देती है। इससे देश के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों का न केवल हनन होता है बल्कि एक बदनुमा दाग न्याय प्रक्रिया पर लग जाता है। इनदिनों जिस तरह के राजनीतिक अपराधों के न्यायालयी निर्णय सामने आये हैं, उन्होंने तो न्याय प्रणाली पर अनेक प्रश्न ही जड़ दिये हैं। बात चाहे…
Read Moreनववर्ष की राह: शांति की चाह
ललित गर्ग। नया वर्ष है क्या? मुडक़र एक बार अतीत को देख लेने का स्वर्णिम अवसर। क्या खोया, क्या पाया, इस गणित के सवाल का सही जवाब। आने वाले कल की रचनात्मक तस्वीर के रेखांकन का प्रेरक क्षण। क्या बनना, क्या मिटाना, इस अन्वेषणा में संकल्पों की सुरक्षा पंक्तियों का निर्माण। ‘आज’, ‘अभी’, ‘इसी क्षण’ को पूर्णता के साथ जी लेने का जागृत अभ्यास। नयेवर्ष की शुरूआत हर बार एक नया सन्देश, नया संबोध, नया सवाल लेकर आती है। एक सार्थक प्रश्न यह भी है कि व्यक्ति ऊर्जावान ही जन्म…
Read Moreजीवन से खिलवाड़ करती मिलावट की त्रासदी
ललित गर्ग। मिलावट करने वालों को न तो कानून का भय है और न आम आदमी की जान की परवाह है। दुखद एवं विडम्बनापूर्ण तो ये स्थितियां हंै जिनमें खाद्य वस्तुओं में मिलावट धडल्ले से हो रही है और सरकारी एजेन्सियां इसके लाइसैंस भी आंख मूंदकर बांट रही है। जिन सरकारी विभागों पर खाद्य पदार्थों की क्वॉलिटी बनाए रखने की जिम्मेदारी है वे किस तरह से लापरवाही बरत रही है, इसका परिणाम आये दिन होने वाले फूड प्वाइजनिंग की घटनाओं से देखने को मिल रहे हैं। मिलावट के बहुरुपिया रावणों…
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