रूह को छूते हैं खुशी के गीत

अनिल बेदाग। पंजाबी सिनेमा ने देश को कई विख्यात गायक दिए हैं जिन्होंने राज्य की सीमाओं को तौड़ते हुए यहां की मिट्टी की सौंधी महक को गीतों के जरिए दुनिया भर में फैलाया। इस मामले में पंजाब से आए गायकों की फेहरिस्त काफी लंबी है, पर अब बारी गायिकाओं की है। पंजाब की ही राजधानी चंडीगढ़ से मुंबई आई खुशी कौर ने अपने पहले एलबम ख्वाब को मिली लोकप्रियता से साबित कर दिया है कि एक्टिंग और सिंगिंग में लड़कियां भी किसी से पीछे नहीं हैं। एक्टिंग की बात हम…

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यूपी निकाय चुनावों का सन्देश

ललित गर्ग। उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों की ही तरह ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे विकास की जीत कहा है तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रधानमंत्री के विकास के ‘विजन’ को और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीतिक कुशलता को इस जीत का आधार बताया है। लेकिन यह जीत इसलिये भी संभव हो पायी है कि भाजपा के अलावा देश के अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी विश्वनीयता खो दी…

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गुजरात के चुनाव में आदिवासियों की उपेक्षा क्यों?

ललित गर्ग। गुजरात में 9 और 14 तारीख को होने वाले विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राजनीतिक दलों की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। नोटबंदी और जीएसटी के नेगेटिव पक्ष को छोडक़र कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं है। भाजपा भी मुद्दाविहीन दिखाई दे रही है। ऐसे में जनता को भ्रमित करने के लिए उसका शीर्ष नेतृत्व अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहा है। चुनाव में जनता से जुड़े एवं कतिमय बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी।…

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एड्स दिवस: जागरुकता ही बचाव है

लाल बिहारी लाल। लगभग 200-300 साल पहले इस दुनिया मेंमानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश में पाए जानेवाले एक विशेष प्रजाति के बंदर में पाया जाता था । इसे कुदरत के अनमोल करिश्मा ही कहे किउनके जीवन पर इसका कोई प्रभाव नही पडता था। वे सामान्य जीवन जी रहे थे। ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले एक अफ्रीकी युवती इस वंदर से अप्राकृतिकयौन संबंध स्थापित की और वह एड्स का शिकार हो गई क्योंकि अफ्रीका में सेक्स कुछखुला है , फिर उस युवती ने…

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गुजरात चुनाव: खाम के बाद पोडा समीकरण के सहारे कांग्रेस की नैया

डॉ. राम सुमिरन विश्वकर्मा। 1985 के विधान सभा चुनाव में माधव सिंह सोलंकी ने खाम ;के-क्षत्रिय$, हरिजन$, आदिवासी$, मुस्लिम समीकरण के सहारे गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल किये थे। उस समय कांग्रेस को 182 में 149 सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस रणनीतिकार नये जातिगत समीकरण को लेकर 22 वर्षों से सत्ता से बाहर रहने के बाद गुजरात की सत्ता हासिल करने का मंसूबा पाल कर फूले नहीं समा रहें हैं। नये जातिगत समीकरण को पोडा कहा जा रहा है, जिसका तात्पर्य पी-पाटीदार, ओ-ओ0बी0सी0, डी-दलित, ए-आदिवासी…

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