नींबू बना जी का जंजाल: रात भर दे रहे बाग पर पहरा

डेस्क। उत्तर भारत में इस साल गर्मी जल्दी आ गई है और इसी बीच बाजारों में नींबू बहुत महंगा हो गया है. हालत ये हो गई है कि लोगों तक पहुचने से पहले ही नींबू बाग और बाजारों से चोरी हो जा रहे हैं.पेट्रोल और डीजल के दामों में तो आग लगी ही है, कई और चीजों के दाम भी लगातार बढ़ते रहे हैं लेकिन भारत में नींबू के दाम जिस ऊंचाई पर पहुंच गए हैं, इससे पहले वैसा कभी नहीं देखा गया. ना सिर्फ फुटकर और थोक नींबू के…

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मंहगी सीएनजी के खिलाफ दिल्ली में टैक्सी वालों की हड़ताल

नयी दिल्ली। सीएनजी के दामों में ढाई रूपये की हालिया वृद्धि के मद्देनजर ऑटो, टैक्सी और कैब चालक एसोसिएशन के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को प्रशासन को चेतावनी दी कि गैस के दाम पर सब्सिडी की अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए वे 18 अप्रैल से हड़ताल पर चले जायेंगे। ग्यारह अप्रैल को ऑटो, टैक्सी एवं कैब चालकों ने सीएनजी दाम पर सब्सिडी की मांग करते हुए दिल्ली सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के बैनर तले किया गया था। दिल्ली ऑटो संघ के…

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श्रीलंका के घटनाक्रम से भारत के राज्यों को मिलती है सीख

प्रहलाद सबनानी। श्रीलंका में स्थिति दिन प्रतिदिन विकट होती जा रही है। यूक्रेन एवं रूस तो आपस में युद्ध करके एक दूसरे को बर्बाद कर रहे हैं परंतु श्रीलंका में तो किसी प्रकार का युद्ध भी नहीं हैं फिर एकाएक श्रीलंका में ऐसा क्या हुआ है कि वहां के नागरिक एक एक रोटी के लिए तरस रहे हैं एवं डॉक्टर इसलिए आंदोलन कर रहे हैं कि वे चाहते हैं कि श्रीलंका में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी जाय क्योंकि वहां आवश्यक दवाईयों का नितांत अभाव हो…

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पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े फिर भी बढ़ी खपत

नई दिल्ली। एक तरफ जहां देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इफाजा हो रहा है वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल की खपत तीन सालों का रिकार्ड तोड़ रही है। तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद देश में तेल की मांग में 4.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालेसिस सेल डाटा के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल मार्च में पेट्रोल-डीजल की महीने भर की खपत में 4.2 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक तेल की कीमतों में बढोतरी की आशंका के…

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भारत के पड़ोसी देशों को कैसे बर्बाद कर रहा है चीन

प्रहलाद सबनानी। चीन की एक विशेष आदत है, पहिले तो वह आर्थिक सहायता के नाम पर भारी भरकम राशि कर्ज के रूप में उपलब्ध कराता है और फिर उस कर्ज की किश्त समय पर अदा न किए जाने पर उस किश्त की राशि और ब्याज को अदा करने के लिए एक नया कर्ज, पुन: आर्थिक सहायता के नाम पर, उपलब्ध कराता है और अंत में यदि वह देश किश्तें एवं ब्याज की राशि को चीन को अदा नहीं कर पाता है तो चीन उस देश की सम्पत्तियों पर कब्जा करना…

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