ईद की खुशियों पर कोरोना का ग्रहण

लखनऊ। ये ईद का त्योहार है, खुशियों का है त्योहार, ना मेरा है ना तेरा है, ये सबका है त्योहार, मुबारक ईद मुबारक सभी को ईद मुबारक… ये तराना ईद के दिन की खुशियों को दर्शाती है, हर साल इसी तरह हम सब लोग मिलजुल कर ईद मानते थे, लेकिन इस बार इतिहास में शायद पहली बार ईद कुछ अलग अंदाज में मनेगी।
कोरोना संक्रमण के डर के साये में रवायतों से लेकर खुशी के इजहार के तौर-तरीके बदले-बदले से होंगे। हर साल ईद के मौके पर परवान चढऩे वाले कई रिवाज इस बार के त्योहार का हिस्सा नहीं होंगे। खुशियां तो होंगी लेकिन गले मिलकर उन्हें बांट नहीं सकेंगे। चांद रात भी होगी, लेकिन बाजारों में रौनक नहीं। ईदगाह तो अपनी जगह होंगे, लेकिन वहां ईद की नमाज नहीं। न मेला लगेगा, न नए कपड़े होंगे, न ही ईद मिलन की रस्म होगी। गलियां सूनी होंगी, उनमें सजावटी चांद सितारे नहीं दिखेंगे। इस बार की ईद कुछ ऐसी ही मनेगी।
चांद रात पर लखनऊ का ईद बाजार पूरी रात गुलजार रहता है। नक्खास, अमीनाबाद, हजरतगंज समेत कई बाजारों में रात भर भीड़ होती थी। सेवईं, नए कपड़े, सजावटी सामान लेने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ता है। मेन रोड में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। पुलिस को बैरिकेडिंग कर पूरी सडक़ को बंद करना पड़ता है, ताकि लोग भीड़ में कोई गाड़ी न घुसे और लोग पैदल चलकर खरीदारी कर सके।लेकिन इस बार लॉक डाउन की वजह से सभी बाज़ार बन्द है।