दावा: उत्तराखंड में आ सकता है सदी का सबसे बड़ा भूडोल

uttarakhand quakeलखनऊ। पहले नेपाल फिर अफगानिस्तान अब आगे कहां, भूकंप हमें हर दिन डरा रहा है। हाईराइज बिल्डिंगों में रहने वालों को उसकी मजबूती पर भरोसा तो है पर लगातार डर लग रहा है। नेपाल के बाद हिंदूकुश पर्वतों के बीच सोमवार को आये 7.5 तीव्रता के भूकंप के पीछे धरती के नीचे लगातार खिसक रही टेक्टोनिक प्लेट्स का टकराना कारण था। क्या हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड सुरक्षित है, एक शोध में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आ सकता है। इस क्षेत्र में करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य के नीचे करीब 7 साल पुराना फाल्ट अपने चरम पर पहुंच गया।
यह जानकारी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम ने दी है। भारतीय भूकंपविज्ञानी सीपी राजेंद्रन के मुताबिक नेपाल के बाद लगातार धरती हिल रही है, जो संकेत है कि हिमालय क्षेत्र अब भूकंपीय दृष्टि से बहुत सक्रिय है। भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए भारत सरकार की ओर से आंशिक रूप से फंडिंग किए जा रहे नए शोध में बताया गया है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आ सकता है। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की एक टीम ने लैब और साइट पर की गई जांच के बाद यह निष्कर्ष दिया है। इस टीम ने भागीरथी, अलखनंदा और काली नदी के किनरों पर इसकी जांच की थी। नेपाल में 7.3 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने के बाद दुनियाभर के भूकंपविज्ञानियों का अनुमान है कि हिमालयी क्षेत्र में ऐसे कई भूकंप आ सकते हैं। बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के प्रमुख सीपी राजेंद्रन का कहना है कि इन क्षेत्रों की सरकारों को हिमालयी क्षेत्र में भूंकपीय गतिविधियों पर लगातार करीब से नजर रखनी चाहिए। दो महाद्वीपीय प्लेट्स भारतीय और यूरोशियाई प्लेट्स के किनारे पर स्थित हिमालय भयावाह भूकंप के लिए अधिक संवेदनशील है। भारतीय प्लेट करीब 10 लाख साल पहले यूरेशियाई प्लेट की ओर खिसकना शुरू किया था।