सीएम का मिशन 2017: पूरे घर के बदल डालूंगा

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अशोक मिश्रा, लखनऊ। सीएम अखिलेश यादव अपने दागी मंत्रियों से परेशान हैं। मौके-बेमौके उनको सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की डांट फटकार भी पड़ी मगर वो हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। सामने मिशन 2017 है उसके बाद भी मंत्रियों की कारगुजारियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अटकलें लगायी जा रही थीं कि सीएम कुछ मंत्रियों को हटायेंगे। अटकलें सही साबित हुईं और सीएम ने दिल मजबूत करके मंत्रियों को हटाने का फैसला कर लिया है। माना जा रहा है कि 31 अक्टूबर को सीएम अखिलेश यादव दागियों की छुट्टïी कर देंगे और कुछ नये चेहरे शामिल होंगे। संभावना जतायी जा रही है कि सरकार सलाहकार और मनोनीत अध्यक्षों की भी छंटाई करेंगे और कुछ खास को छोड़कर बाकियों को बाहर का रास्ता दिखायेंगे।
सीएम ने संकेत देने के दूसरे दिन ही राज्यपाल राम नाईक से मिलकर मंत्रिमंडल में फेरबदल और उसकी तारीख पर चर्चा की। 31 अक्टूबर को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। आठ से दस नये चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और पांच से छह विवादित मंत्रियों की विदाई तय मानी जा रही है। मंत्रिमंडल में छठवीं बार फेरबदल के जरिये अखिलेश अपनी साढ़े तीन साल पुरानी सरकार की छवि साफ-सुथरी करने के साथ ही युवा चेहरों को तरजीह देकर भविष्य का ताना-बाना तैयार कर सकते हैं।
नियमों के मुताबिक प्रदेश सरकार में 59 मंत्री बनाये जा सकते हैं। इस समय 26 कैबिनेट, 24 राज्य और स्वतंत्र प्रभार के चार मंत्रियों समेत 54 मंत्री हैं। यानी पांच स्थान पहले ही रिक्त हैं। सूत्रों के मुताबिक पांच से छह मंत्रियों की छुïट्टी होनी तय है और कई प्रभावशाली मंत्रियों के विभागों में बदलाव की भी संभावना है। पूर्वांचल के एक वरिष्ठ मंत्री को मंत्रिमंडल से मुक्त कर उनके विधायक बेटे के मंत्री बनाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। अति पिछड़े वर्ग के नुमाइंदगी बढ़ाए जाने के संभावना है जबकि इस वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक चर्चित मंत्री का विभाग बदला जा सकता है। पश्चिमी उप्र के दो मंत्रियों का निधन होने के कारण रिक्त स्थानों पर स्थानीय विधायकों को प्रतिनिधित्व देने की चर्चा है। यूं भी पश्चिम में बसपा के दलित-मुस्लिम गठजोड़ की प्रयासों की समाजवादी पार्टी को अभी से काट तलाशनी होगी। सूत्रों के मुताबिक मुस्लिमों में बसपा मोह पनपने से रोकने के लिए नए मुस्लिम चेहरे को तरजीह मिल सकती है। बागपत जिले से गुलाम मोहम्मद का नाम चर्चा में है। इसके पीछे अजित सिंह के गढ़ में रालोद के प्रति मुस्लिम रूझान को रोकने का दांव समझा जा रहा है। बिसाहड़ा कांड के बाद एमएलसी आशू मलिक ने जिस तरह से मध्यस्थ की अहम भूमिका निभायी उससे उन्हें भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल जाने के कयास लग रहे हैं। वैश्य कोटे से मंत्री चितंरजन स्वरूप का निधन होने के बाद मधु गुप्ता, डा. सरोजिनी अग्रवाल व रुचिवीरा के नाम चर्चा में हैं। राजेंद्र राणा के रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए लगातार दो बाद से विधायक गढ़मुक्तेश्वर के मदन चौहान को मौका मिल सकता है। उन्हें पार्टी में दाखिल होने के लिए दस्तक दे रहे एक वरिष्ठ नेता का भी करीबी माना जाता है। वहीं पूर्वांचल से भी सपा नेतृत्व बड़ी आस लगाए है। शाकिर अली, शैलेंद्र यादव ललई और शादाब फातिमा जैसे नाम भी लिये जा रहे हैं। शादाब फातिम को सीएम के चाचा और काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव का खास माना जाता है। शिवपाल के कारण ही शादाब को टिकट भी मिला था।