अंकल सिंड्रोम से पीडि़त हैं सीएम अखिलेश

cm newलखनऊ। उप्र में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के चौथे और सबसे बड़े फेरबदल के साथ क्या अंकल सिंड्रोम और पांच मुख्यमंत्री होने के आरोपों से मुक्त हो सकेगें।
बुधवार को मुख्यमंत्री ने उप्र के राज्यपाल राम नाईक से राजभवन में मुलाकात की गुरूवार को राज्यपाल ने प्रेसनोट जारी कर इस बात का खुलासा किया कि मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल के 8 मंत्रियों को हटा दिया गया है, और 9 मंत्रियों के विभाग ले लिया है। राजनीति के जानकार कहते है कि मुख्यमंत्री की यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। दो दिन पहले पार्टी के महासचिव व प्रवक्ता प्रो.राम गोपाल यादव ने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात में हुई बातचीत को सार्वजनिक करने पर एतराज किया था। इस फेरबदल के साथ पहली बार मुख्यमंत्री अखिलेश ने संदेश दिया है कि प्रदेश में सरकार बिना किसी के दखल के चल रही है। इससे पहले यह आरोप लगते रहे हैं कि सरकार में अखिलेश की चल नहीं रही है लेकिन इस फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि अखिलेश ही मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश चला रहे हैं। फेरबदल की उम्मीद लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ही लगाई जा रही थी लेकिन फैसला लेने में डेढ़ वर्ष का समय लग गया। इस बार फेरबदल में जो भी मंत्री बर्खास्त किये गए हैं या जिनसे विभाग छीना गया हैए उनके ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। पार्टी ने काफी छानबीन के बाद उनको हटाने का फैसला किया। 26 अक्टूबर को मुलायम सिंह के परिवार के सदस्यों की बैठक के बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि कुछ बड़ा होने वाला है। पिछले दिनों पार्टी क राष्ट्रीय अधिवेशन में खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा था कि अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल भ्रष्टाचार में डूबे है उनके पास सूची है। इसके बाद मुलायम सिंह ने कई बार मंत्रियों के कामकाज पर कड़ा एतराज किया। झांसी में उन्होने कहा कि उनके मंत्रियों को पार्टी का घोषणा पत्र ही नही पता। जिन मंत्रियों के विभाग छीने गए है वे बेहद वरिष्ठ माने जाते रहें है। मुख्यमंत्री के कदम से मंत्रिमंडल के बाकी मंत्री भी सहमे है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाल रहे अहमद हसन, राम गोविंद चौधरी, महबूब अली, ब्रह्म शंकर त्रिपाठी, पारस नाथ यादव, दुर्गा प्रसाद यादव को एक जमाने में अखिलेश का अभिभावक की श्रेणी में रखा जाता था। अंबिका चौधरी की बर्खास्तगी भी मुख्यमंत्री की धमक का अहसास कराती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी छवि सुधारने के लिए जो यह कदम उठाया है वह फैसले का स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस वक्त प्रदेश सरकार की हालत एक तरफ कुआं और एक तरफ खांई वाली है। क्योंकि जो मंत्री बर्खास्त किए गए हैं, वे गुर्राएंगे और जो नए मंत्री बनाए जाएंगे वे काम नहीं करेंगे।