कचनार की छाल में है ट्यूमर को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता

 

 

 

 

 

 

 

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लखनऊ। यूपी के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. शिवशंकर त्रिपाठी ने बताया कि कचनार की छाल में शरीर की ग्रन्थियों में होने वाली सूजन को दूर करने तथा अर्बुद (टयूमर) को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता है तथा वासा (अडूसा) की पत्तियों एवं फूलों का काढा किसी भी प्रकार की खांसी को दूर करने में अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने बताया कि जनपद के समस्त आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों परिसर में जहां भी खाली जमीन है वहां पर औषधीय पौंधो का रोपण किया जायेगा तथा सभी चिकित्सालयों में औषधीय पौंधो को गमलों में रोपित कर प्रदर्शित किया जायेगा और उनके गुण एवं उपयोग के बारे में जानकारी भी चिकित्साधिकारियों द्वारा आम-जन को दी जायेगी।
पर्यावरण संरक्षण एवं आयुर्वेदिक व यूनानी औषधियों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्श्ेय से लखनऊ के राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में औषधीय पौंधो को रोपित करने तथा उन्हें गमलों में प्रदर्शित करने का अभियान क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यनानी अधिकारी लखनऊ के नेतृत्व में किया जा रहा है जिसका शुभारम्भ राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय चन्द्रावल (लखनऊ) के परिसर में निदेशक आयुर्वेदिक सेवाएं उप्र प्रो सुरेश चन्द्र द्वारा अर्जुन एवं हरसिंगार के पौधे रोपित कर किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डॉ शिवशंकर त्रिपाठी द्वारा कचनार, प्रभारी अधिकारी आयुर्वेद निदेशालय डॉ भोलानाथ मिश्र, डॉ आरके सिंह, डॉ उमेश चन्द्र त्रिपाठी, डॉ केयू खान, डॉ अशोक दीक्षित, डॉ एलबी यादव, डॉ शिव कुमार वर्मा द्वारा कचनार, वासा (अड़ूसा), अश्वगंधा एवं सतावरी के पौंधे रोपित किये गये। चिकित्साधिकारी डॉ बृजेश कुमार मिश्रा, डॉ अनिल मिश्रा, डॉ विक्रम अग्रवाल, डॉ नीरज अग्रवाल, डॉ सुनीता सिंह, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ.गीता, डॉ अनीता, डॉ रेहान जहीर, डॉ अरूण कुमार एवं डॉ डीके सिंह आदि द्वारा सीता अशोक, मीठी नीम, ज्वरांकुश, घृतकुमारी एवं तुलसी आदि अनेक प्रजाति के पौंधो का रोपण किया गया।
निदेशक आयुर्वेद डॉ सुरेश चन्द्र ने बताया कि आज भी किसी बीमारी के होने पर हमें अपनी घरेलू चिकित्सा के रूप में घर के आस-पास पाये जाने वाले पेड़-पौंधों के रूप में पाई जाने वाली औषधियों की ओर ध्यान सर्वप्रथम जाता है। स्वास्थ्य संरक्षण की इस प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को पुनर्जीवित करने हेतु आवश्यक है कि ऐसे औषधीय पौंधो का रोपण किया जाए जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हर दृष्टि से लाभप्रद हैं। उन्होंने बताया कि अर्जुन की छाल से बने काढ़े का सेवन हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभप्रद है। यह हृदय धमनी काठिन्य (कोरोनरी हार्ट डिजीज) को ठीक करने के साथ-साथ यकृत विकार तथा हड्डियों को मजबूत करने में भी लाभप्रद है। उन्होंने हरसिंगार पौंधे के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसकी 11 पत्तियों का काढा बनाकर प्रतिदिन पिया जाय तो गृधसी (सियाटिका), जोड़ों के दर्द आदि वातव्याधियों को दूर करता है।