चुनाव आयोग की कवायद: स्याही की जगह लेगा मार्कर

election comiनई दिल्ली। चुनाव आयोग ने स्याही की बजाय मार्कर पेन से निशान लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। स्याही लगाने की यह परंपरा 1962 से चली आ रही है। आयोग मतदाताओं की इस राय के बाद यह कदम उठाने जा रहा है कि ब्रश से लगाया गया निशान स्पष्ट नहीं होता। मैसूर पेंट्स की ओर से मुहैया कराई इस तरह की कलम का इस्तेमाल अफगानिस्तान में हुए हालिया चुनाव में किया जा चुका है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि हम फिलहाल मार्कर पेन का परीक्षण कर रहे हैं। अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। बहुत कुछ नतीजों पर निर्भर करेगा। हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में मार्कर पेन के इस्तेमाल से जुड़े सवाल पर इस अधिकारी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 1962 में कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला एवं राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर मैसूर पेंट्स के साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए पक्की स्याही की आपूर्ति का समझौता किया था। मैसूर पेंट्स कर्नाटक सरकार का उपक्रम है।