सांपों का आशिक बना सिपाही देवेन्द्र

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सुधीर जैन
छत्तीसगढ़। सांपों का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, इन सब बातों से इतर जिला सेनानीनगर सेना कार्यालय में तैनात नगर सैनिक देवेन्द्र सांपों का आशिक है, जो बचपन से ही सांपों के बीच पला तथा बढ़ा है।
पांचवी कक्षा में व पढ़ाई के दौरान ही सांपों को पकड़ लेता था उम्र के साथ सांपों के साथ उसका लगाव ऐसा बढ़ा कि सांप कैसा भी हो देखते ही देखते वह उसे अपने बस में कर लेता है अब आलम यह है कि किसी के घर में यदि सांप आ जाए तो लोग इस साहसी जवान को बुला लेते हैं सांप को दहषत में लोग नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं लेकिन यह सर्पप्रेमी संाप को इस तरह पकड़ता है कि उसे कोई नुकसान न हो सांप को पकडऩे के बाद उसे जंगल में छोडऩे जाना जवान की आदत में शुमार है देवेन्द्र ने अब तक 36 हजार से अधिक सांपों को पकड़ा है बोधघाट थाने मे वाहन चालक के रूप में कार्यरत देवेन्द्र की लोकप्रियता इतनी बढ़ी हुई है कि आज भी बोधघाट थाने में फोन कर आपदा की स्थिति में उसका नंबर लिया जा सकता है और उसे किसी भी समय सम्पर्क किया जा सकता है। मूलत: कोण्डागांव जिले के मर्दापाल निवासी नगर सैनिक देवेन्द्र दास बचपन से ही सांपों से खेलता था। देवेन्द्र कहते हैं कि उसके पूर्वज में एक व्यक्ति सर्प से खेलने व पकडऩे वाला पैदा होता है तीन पीढ़ी से यह काम उसके परिवार से एक-एक सदस्य कर रहे हैं पहल उसके दादा मेहतरदास सांप पकड़ते थे उसके बाद उसके पिता आनंद दास और अब वह स्वयं सांपों को पकड़ता है वे सांप को जिंदा पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं क्योंकि वे उसकी पूजा करते हैं देवेन्द्र दास ने बताया कि शहर में ज्यादातर नाग व करैत प्रजाति के सांप पाए जा रहे हैं शहर के अलावा जिले के करपावण्ड, बकावण्ड, भानपुरी व अन्य जगहों पर उसे सांप पकडऩे बुलाया जाता है नगर सैनिक होने के कारण उसे ड्यूटी करनी होती है फिर भी समय मिलने पर वह लोगों के बुलाने पर सांप पकडऩे पहुंच जाता है। इसके लिए वह संबंधित व्यक्ति से पैसे नहीं लेता है।