बसों स्पीड कन्ट्रोल लगने के बाद बोले यात्री: वॉल्वो है या बैलगाड़ी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परविहन निगम में अनुबंध पर संचालित सुपर लक्जरी स्कैनिया बसों व वॉल्वो बसों के कछुुए की मानिंद चलने पर आजकल उपभोक्तओं के परिवहन निगम के अधिकारियों के फोन पर अजीब शिकायतें आ रही हैं। यात्रियों के अजीब से सवाल अधिकारियों को हंसने पर मजबूर कर रहे हैं। अभी तीन दिन पहले ही आलमबाग के एक अधिकारी के फोन पर देर रात एक यात्री का फोन आया जिसमें यात्री का साफ कहना था कि बस इतनी धीरे चल रही है जैसे वॉल्वो न होकर बैलगाड़ी हो। इसका संचालन सुधरवाइये। हालांकि अधिकारी की ओर से यात्री को बताया गया कि बसों की स्पीड फिक्स कर दी गई है ऐसे में यह बस इस गति से ज्यादा तेज नहीं दौड़ पाएगी। परिवहन निगम प्रबंधन को आपकी यात्रा से कहीं ज्यादा आपकी जान प्यारी है।
परिवहन निगम प्रबंधन ने बीती एक जुलाई से मुख्यालय पर बसों की ओवरस्पीड पर नियंत्रण करने के लिए पल-पल की जानकारी रखने के उद्देश्य से सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की स्थापना की। कमांड सेंटर की स्थापना की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी क्योंकि अभी कुछ ही दिनों में दो लक्जरी वॉल्वो बसें दुर्घटनाग्रस्त हो गई थीं जिसमें कई यात्रियों की जान चली गई थी वहीं कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। निगम प्रबंधन ने दुर्घटनओं पर रोक लगाई जा सके इसके लिए सभी बसों में स्पीड कंट्रोल डिवाइस भी लगवा दी है। जिसके तहत अब साधारण बसें 65 किलोमीटर से ऊपर चाहकर भी दौड़ाई नहीं जा सकती वहीं सुपर लक्जरी स्कैनिया व वॉल्वो का भी कमोवेश यही हाल है। अब यह बसें महज देखने में ही खूबसूरत लग सकती हैं दौडऩे में नहीं फिर चाहे भले ही उन्हें राष्टï्रीय राजमार्ग पूरा खाली ही क्यों न मिल जाए। वॉल्वो की स्पीड 75 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित कर दी गई है जिसके बाद वॉल्वो चालक इससे ऊपर किसी कीमत पर बस का संचालन नहीं कर पाएंगे। वॉल्वो व स्कैनिया की स्पीड 75 किलोमीटर प्रतिघंटा तय कर देने से वॉल्वो में सफर करने वाले यात्रियों का सफर काफी दुरूह हो गया है। इसकी वजह है कि कई यात्री जो गर्मी के मौसम में ट्रेन में आरक्षण न मिलने पर वातानुकूलित स्कैनिया व वॉल्वो का दिल्ली जाने के लिए सहारा लेते हैं और उन्हें दिल्ली से कहीं और जाने के लिए जहाज की लाइट पकडऩी होती है उनकी लाइट छूटने लगी है। वॉल्वो की स्पीड महज 75 किलोमीटर निर्धारित हो जाने के बाद लखनऊ से दिल्ली की दूरी जहां पहले वॉल्वो बसों से 12 घंटे में तय हो जाती थी वहीं अब यह दूरी दो घंटे ज्यादा यानि 14 घंटे में पूरी हो पा रही है। जिससे यात्रियों को काफी परेशानी महसूस हो रही है। वॉल्वो के रूट पर काफी धीरे चलने से यात्रियों के परिवहन निगम के जि मेदार अधिकारियों के पास खूब फोन आ रहे हैं। अभी कुछ दिन पूर्व आलमबाग के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक प्रशांत दीक्षित के पास दिल्ली जाने वाली वॉल्वो से सफर कर रहे एक यात्री ने बस की स्पीड काफी कम होने पर फोन कर शिकायत दर्ज कराई कि यह लक्जरी वॉल्वो बस है या कोई वैलगाड़ी। हालांकि एआरएम के पास इसका सीधा व सरल एक ही जवाब था कि सर दुर्घटना से देर भली। हमें आपकी जान प्यारी है बस इससे ज्यादा तेज गति से नहीं चल पाएगी। वहीं कई यात्रियों ने यह भी बताया कि भले ही परिवहन निगम प्रबंधन का यह कदम काबिले तारीफ कहा जाए कि बसों की गति सीमा निर्धारित कर दी। लेकिन लक्जरी बसों के हिसाब से 75 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड काफी कम है। जबकि इसे देखते हुए किराया काफी है। ऐसे में यात्री परिवहन निगम की स्कैनिया या वॉल्वो से अपनी यात्रा तय करने के बजाय ट्रेन को ही प्राथमिकता देंगे। वहीं चारबाग बस स्टॉप पर कई यात्रियों ने इस बात की भी जानकारी दी है कि पिछले दिनों कई लोगों की दिल्ली से अलग-अलग राज्यों के लिए जाने वाली लाइ ट बसों की धीमी गति के चलने से छूट गईं। हालांकि परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार मेश्राम बसों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं उनका कहना है कि जान की भरपाई किसी भी कीमत पर नहीं की जा सकती है ऐसे में यात्रियों को बसों की स्पीड पर ध्यान नहीं देना चाहिए। थोड़ा देर से ही सही कम से कम वे सुरक्षित अपने गंतव्यों को पहुंच रहे हैं।