यहां पेड़ों से होता है युवतियोंं का विवाह

woman-marrying-a-tree-in-indiaजगदलपुर (आरएनएस)। बस्तर में इन दिनों सयाने युवक-युवतियों के साथ नाबालिग लड़कियों का भी उत्साह के साथ प्रतीकात्मक विवाह कराया जा रहा है, इन्हें भी बाकायदा हल्दी और आम्रपत्रों का मौर मुकुट पहनाया जाता है। इस परंपरागत बाल विवाह को कांडाबारा कहते हैं। धर्माऊर में ऐसी ही दो बेटियों की शादी कराई गई जिसमें पूरा परिवार रिश्तेदारों समेत उपस्थित रहे।
बस्तर में नाबालिग लड़कियों की शादी करने का रिवाज है। यह आयोजन आमतौर पर किसी जोड़े के विवाहोत्सव के दौरान ही किया जाता है। वर-वधू की तरह बच्चियों को भी आम्रपत्रों का मौर पहना कर हल्दी लगाई जाती है। वहीं प्रतीकात्मक रूप से किसी धार्मिक ग्रंथ या फलदार पेड़ के साथ विवाह कराया जाता है इस मौके पर बच्चियों के परिजन वह सभी रस्म करते हैं, जो विवाह के लिए अनिवार्य होता है। रस्म के बाद बाकायदा भोज भी दिया जाता है यह परंपरा आदिवासियों के साथ बस्तर में वर्षों से बसे दीगर समाज के लोग भी करते हैं। ग्राम धर्माऊर में करीब 10-11 साल की दो नाबालिग लड़कियों मालती व सुमन का विवाह कराया गया दोपहर तक सभी रस्में पूरी की गई, तत्पश्चात नदी में पूजन सामग्रियों को विर्सजन करने के बाद तथा दूल्हा-दुल्हन के साथ बच्चियों को भी नदी में नहलाकर घर लाया गयाधर्माऊर में हो रही बच्चियों की प्रतीकात्मक शादी संयमित रखने करते हैं शादियां। हल्बा समाज के संभागीय अध्यक्ष अर्जुन नाग बताते हैं कि नाबालिग बेटियों की शादी कर हम उन्हे विवाहिता की तरह संयमित रहने की सीख देने का प्रयास करते हैं कांडाबारा कर अभिभावक बेटियों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि प्रतीकात्मक शादी कर उन्हे संयमित रहने का दायित्व सौंप दिया है, अगर उनके कदम बहके तो परिवार की भी बदनामी होगी। यह परंपरा आदिवासी समाज में पहले नहीं थी इसे सामयिक व प्रेरक मानते हुए आदिवासी समाज भी अपनाने लगा है।