खातेदारों के करोड़ों रूपये डकार गईं चिटफंड कंपनियां

fraud-logo

जगदलपुर (आरएनएस)। बस्तर के ग्रामीण अंचलों के लोगों को सब्जबाग दिखाकर तमाम चिटफंड कंपनियों ने करोड़ों रूपए डकार लिए, उक्त कंपनियों की जांच के लिए प्रशासनिक स्तर पर जांच समिति भी गठित हुई पर नतीजा सिफर रहा। राज्य सरकार के द्वारा चिटफंड कंपनियों पर लगाम कसने के लिए नया अधिनियम भी पास किया गया इसके तहत जिला प्रशासन को संपत्ति कुर्क करने के अधिकार प्रदत्त किए गए हैं, बावजूद इसके लुटे हुए निवेशकों को राहत नहीं मिल सकी है।
जानकारों के अनुसार बस्तर से करीब 500 करोड़ रूपए लेकर कंपनियां चंपत हो गई हैंबस्तर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को आकर्षक कमीशन का लोभ देकर ग्रीन रे इंटरनेशनल, माइक्रोफाइनेंस, साईंप्रसाद लिमिटेड, गरिमा फाइनेंस समेत अन्य कंपनियों ने सैकड़ों लोगों के खाते खुलवाकर करोड़ों रूपए निवेश करवाए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में 10 रूपए से लेकर पांच सौ रूपए किश्तों के खाते खुलवाए गए थे। निवेशकों को रियल स्टेट,गोल्ड तथा अन्य कारोबार में निवेश बताकर कई गुना ब्याज देने का वायदा किया था लेकिन खातों के परिपक्व होने के उपरांत कंपनियां बोरिया बिस्तर समेट कर भाग गईं, वहीं एजेंटों ने भी भुगतान दिलाने से हाथ खड़ा कर दिया कई निवेशकों ने पुलिस को भी शिकायत किया लेकिन सेबी के अधिकार क्षेत्र का विषय होने का तर्क रखते पुलिस ने मामले में हाथ खड़ा कर दिया था।
ओडि़सा की माईक्रो फाइनेंस कंपनी, महाराष्ट्र की सार्इंप्रसाद, मिलियंश माइंस समेत दर्जनों कंपनियों ने सेबी से ट्रेडिंग का लाइसेंस लेकर खुलेआम बैंकिंग कारोबार किया उक्त कंपनियों ने नगरनार, मारकेल, धनपुंजी तथा लोहंडीगुड़ा जनपद के गांवों में इस्पात संयंत्र प्रभावित लोगों को मिलने वाले मुआवजे की बड़ी राशि निवेश करवाकर हड़प कर ली है। उक्त क्षेत्र के ग्रामीणों के करीब 10 करोड़ रूपए डूब चुके हैं इस प्रकार बस्तर में निवेशकों का 50 करोड़ से अधिक राशि डूबंत खाते में जा चुकी है। कुछ निवेशक रकम वापसी की आस में शिकायत करने से भी पीछे हट रहे हैं।
दिसम्बर 2015 में राज्य सरकार ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ नया अधिनियम पारित किया है पर जमीनी स्तर पर इसका पालन नहीं किया जा रहा है। कानून के तहत चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में रखते हुए सात से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है, साथ ही शिकायत के एक महीने के भीतर मामले की जांच करने तथा संबधित कंपनी के फरार होने की दशा में चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपत्ति आंकलन उपरांत जिला कलेक्टर को कुर्की आदेश जारी करने के अधिकार प्रदत्त किए गए हैं। वहीं पुलिस जांच करवाकर 240 दिनों के भीतर विशेष न्यायालय द्वारा मामले का निपटारा किया जाना है। कानून तो बहुत हैं लेकिन पालन नहीं होता पहली बार कानून का उल्लंघन करने पर एक लाख का जुर्माना, दूसरी बार पकड़े जाने पर तीस दिन तक 5 हजार रूपए प्रतिदिन के हिसाब से अर्थदंड, कंपनी के संचालन संबंधी गलत जानकारी देने वाले संचालक को 3 माह का कारावास व 1 लाख का जुर्माना थाना प्रभारी को जांच का आधिकार शामिल है।