एक बंगला हो न्यारा सा: यूपी के नेताओं में बढ़ी बेचैनी

mayawati_homeलखनऊ। उप्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों के शाही बंगलों को खाली करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नेताओं में बेचैनी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि उन्हें दो महीने में सरकारी आवास को खाली करना पड़ेगा। 12 साल पहले 2004 में लोक प्रहरी नामक संस्था ने पीआईएल दाखिल कर सरकार के राज्य सरकार की उस नियमावली को चुनौती दी थी, जिससे पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगलों का आवंटन किया जाता है।
याचिका में कहा गया था कि सरकार इसके लिए करोड़ों का आवास आवंटित कर रही है जिस फैसले को रद्द किया जाए। इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सपा महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव ने कहा है कि आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की जाएगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री आवास रूल 1997 को खारिज कर दिया है। जस्टिस अनिल आर दवे व जस्टिस एनवी रामन और आर बानुमती की बेंच ने सोमवार को कहा है कि पूर्व सीएम को सरकारी आवास देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए उन्हें 2 महीने के अंदर यह खाली कर देना चाहिए। बेंच ने 27 नवंबर 2014 को सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था। करीब 20 महीने बाद आये फैसले से उप्र के बड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई है। कोर्ट ने आदेश में भारत सरकार से भी कहा गया है कि सरकारी बंगला अलॉट करने के संबंध में नियम बनाने के लिए वह विचार करे।
उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री आवास रूल 1997 नियम के तहत ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अजीवन राज्यसंपत्ति विभाग के आवास में रह सकते थे। पॉस इलाकों में कई एकड़ में फैले इन बंगलों के रख रखाव, बिजली बिल भरना सभी राज्य संपत्ति विभाग की जिम्मेदारी होती है। जानकारों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों के बिजली बिल काफी ज्यादा होता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसके तहत तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास दिया गया था। लोकप्रहरी का कहना था कि उप्र के पूर्व सीएम को ये सरकारी घर मिला हुआ है और उसमे उनका परिवार रहता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने पड़ेगें, उनमें सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती, मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व उप्र व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी शामिल है। स्वयं सेवी संस्था लोक प्रहरी में कुल 20 सदस्य हैं। इसमें रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, जज और टेक्नोक्रेट भी शामिल हैं। संस्था के महासचिव सत्यनारायण शुक्ला रिटायर्ड सिविल सर्वेंट हैं।

ट्रस्ट और समितियों के नाम से आवंटन का विकल्प का लेंगे लाभ
जानकारों का कहना है कि 1997 में भाजपा सरकार के दौरान बने पूर्व मुख्यमंत्री आवास रूल को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए ट्रस्ट और सुरक्षा कारणों से सरकारी आवास आवंटित करने का विकल्प खुला है। प्रदेश सरकार ने कई बंगलें ट्रस्ट, समितियों व समाजसेवियों के नाम से आवंटन का विकल्प खुला है। प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों को समाजसेवी के तौर आवंटन कर सकती है।