ये पब्लिक है सब जानती है, ये पब्लिक है

bank-2012इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग के बढ़ते चलन के साथ ही बढ़ती धोखाधड़ी की घटनाओं के मद्देनजर उन पर नियंत्रण के उपाय जितने जरूरी हैं, जिम्मेदारी और जवाबदेही भी उतनी ही जरूरी है। इस लिहाज से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तैयार ग्राहक सुरक्षा प्रस्ताव सही दिशा में सही कदम लगता है। देखा गया है कि इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग में धोखाधड़ी का खमियाजा ग्राहक को ही भुगतना पड़ता है, भले ही उसकी उसमें कोई भूमिका न रही हो। ऐसी धोखाधड़ी की सूचना ग्राहक द्वारा दे दिये जाने के बावजूद बैंक अपनी जिम्मेदारी-जवाबदेही से पल्ला झाड़ लेते हैं। लंबे वाद-विवाद के बाद बैंक को जिम्मेदारी लेनी भी पड़े तो बैंक-बोर्ड द्वारा स्वीकृत ग्राहक संबंध नीति के मुताबिक क्षतिपूर्ति नाममात्र की ही होती है। नतीजतन धोखाधड़ी का मुख्य खमियाजा ग्राहक को ही भुगतना पड़ता है। यह धोखाधड़ी मोबाइल बैंकिंग से लेकर कार्ड द्वारा भुगतान तक में हो रही है। इसमें दो राय नहीं कि बदलती कार्यशैली और व्यस्तता के बीच इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग ग्राहक और बैंक, दोनों के लिए ही बेहद सुविधाजनक है। ग्राहक जहां बैंक जाने अथवा यात्रा के दौरान और खरीदारी के लिए नकदी साथ ले जाने की सिरदर्दी से बच जाते हैं, वहीं बैंक पर स्टाफ समेत आधारभूत ढांचे का दबाव कम रहता है यानी वह कम खर्च में ज्यादा कारोबार कर पाता है, लेकिन बढ़ती धोखाधड़ी का खमियाजा सिर्फ ग्राहक को ही भुगतना पड़ रहा है।
जाहिर है, यह स्थिति सुधरनी चाहिए। बेहतर होता अगर बैंक स्वयं धोखाधड़ी रोकने और ग्राहक की क्षतिपूर्ति का जिम्मेदारी भाव दिखाते, पर अब जब भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहक सुरक्षा प्रस्ताव के जरिये यह पहल कर 31 अगस्त तक संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं तो उसमें अड़चनें नहीं डाली जानी चाहिए। इसलिए भी कि रिजर्व बैंक का यह प्रस्ताव बेहद संतुलित और व्यावहारिक है। इसमें ग्राहक और बैंक, दोनों को ही जिम्मेदार बनाते हुए उनकी जवाबदेही तय की गयी है। बैंक तभी धोखाधड़ी की भरपाई के लिए जिम्मेदार होंगे, जब उसमें ग्राहक की कोई भूमिका न हो और जानकारी मिलते ही तय समय सीमा में ग्राहक बैंक को सूचित कर दे। ग्राहक जितना विलंब से यह सूचना देगा, क्षतिपूर्ति उतनी ही कम होती जायेगी। हां, धोखाधड़ी में बैंककर्मी की संलिप्तता पर बैंक की ही पूरी जिम्मेदारी होगी। यह व्यवस्था कारगर ढंग से काम कर पाये, इसके लिए जरूरी होगा कि बैंक हर लेनदेन की सूचना समय से ग्राहक को दें। देखा गया है कि एसएमएस शुल्क वसूलने के बावजूद बैंक ग्राहक को खाते से लेनदेन की सूचना समय से उपलब्ध नहीं कराते। यह भी जरूरी है कि धोखाधड़ी की सूचना देने का तंत्र व्यापक व विश्वसनीय हो और ग्राहक को सूचना देने पर उसकी प्राप्ति भी मिल जाये, ताकि बैंक मुकर न सके।