आज भी पहेली हैं हिमाचल की रहस्यमयी गुफाएं

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फीचर डेस्क। देवभूमि हिमाचल प्रदेश को व्यास, पाराशर, वशिष्ठ, मार्कण्डेय और लोमश आदि ऋषियों का निवास स्थल होने का गौरव प्राप्त है। यहां गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राचीन मंदिर, रहस्यमय गुफाएं, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त विचरते चरवाहे और पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद का स्रोत हैं। लगभग पूरा प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का भाग है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही घग्गर और सरस्वती नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में सतलुज और व्यास शामिल हैं।
हिमाचल के मंडी जिले के मंडी नगर से 125 किमी दूर दक्षिण-पूर्व में समुद्र तल से लगभग 1404 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रेणी में बसी करसोग घाटी अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों, अनूठी लोक-संस्कृति, पौराणिक मंदिरों व सेब के बगीचों व देवदार, चील, अखरोट, ढेरों जड़ी-बूटियों आदि के पेड़ों से सजी एक ऐसी अनछुई घाटी है जिसका सौंदर्य देखते ही बनता है। शिमला से इसकी दूरी 106 किमी है।
ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से यहां के मंडी जिले के एक विधानसभा क्षेत्र करसोग नगर में स्थित करसोग घाटी को रहस्य और मंदिरों की घाटी कहा जाता है। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय बिताया था और माना जाता है कि वे यहीं से हिमालय को पार करके उत्तर की ओर गंधमादन पर्वत पहुंच गए थे, जहां भीम की मुलाकात रामभक्त हनुमान से हुई थी।
हिमाचल के मंडी जिले से करसोग नगर 115 और घाटी 125 किलोमीटर दूर है। घाटी के मार्ग और घाटी में ये मंदिर हैं- ममलेश्वर महादेव, कामाक्षा माता मंदिर, मांहुनाग मंदिर, धमूनी नाग मंदिर, देव दवाडी मंदिर दवाहड, षाहोट व थनाडी, च्वासी सिद्ध, मगरू महादेव मंदिर छतरी, चिंढी माता मंदिर, महामाया मंदिर पागणा, देव बडोयगी, शिकारी माता मंदिर, त्रिलोकनाथ शिव मंदिर, भूतनाथ मंदिर, श्यामाकाली मंदिर, सुंदरनगर, जंझेली, अद्र्धनारीश्वर मंदिर, बरोट पिकनिक स्पॉट इस क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।