सपा का दंगल: अलग-अगल होंगे निशान

लखनऊ। विघटित हो चुकी समाजवादी पार्टी में अब उसके चुनाव चिह्न पर ‘कब्जेmulayam-akhilesh-Ó की जंग चल रही है। पिता मुलायम और बेटे अखिलेश गुट दोनों ही साइकिल चुनाव चिह्न पर दावा जता रहे हैं। दोनों ही गुट साइकिल पर अपनी दावेदारी को लेकर सोमवार को चुनाव आयोग पहुंचे। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो चुनाव आयोग अखिलेश और मुलायम किसी को भी साइकिल की सवारी नहीं करने देगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर दोनों गुटों में सुलह नहीं होता है तो चुनाव आयोग 13 जनवरी को इस मामले पर बैठक कर सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि साइकिल पर कोई भी फैसला आने तक चुनाव आयोग इस सिंबल को फ्रीज कर सकता है और दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित कर सकता है।
वही साइकिल चिन्ह फ्रीज होने पर मुलायम सिंह अपनी तैयारी पर उतर चुके है। सूत्रों की माने तो मुलायम सिंह यादव ने वैकल्पिक सिंबल का इंतजाम कर लिया है। मुलायम सिंह यादव ‘खेत जोतता किसानÓ पर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। मुलायम खेमे ने चरण सिंह की पार्टी लोकदल के संपर्क किया है। वहीं लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह से मुलायम-शिवपाल ने बातचीत की है।
दरअसल इस सिंबल से मुलायम का पुराना रिश्ता रहा है। 1980 के दशक में मुलायम सिंह जब लोकदल में हुआ करते थे तब वह इसी चुनाव चिन्ह से लड़ चुके हैं। ‘खेत जोतता किसानÓ 1989 को जब्त हो गया था। सूत्र बताते हैं कि अमर सिंह और शिवपाल यादव लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह से संपर्क में भी हैं। लेकिन चुनाव आयोग के रिकार्ड में अब यह चुनाव निशान नहीं है। अगर चुनाव आयोग उन्हे हल जोतता किसान नहीं देता है तो वह जनता पार्टी का चुनाव निशान हलदर किसान भी मांग सकते हैं।
सूत्रों की माने तो अगर अखिलेश को साइकिल नहीं मिली तो वो मोटरसाइकिल की भी सवारी कर सकते हैं।सपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो हो सकता है कि इस चुनाव में अखिलेश यादव साइकिल छोड़कर मोटरसाइकिल पर सवारी करते नजर आएं। ऐसे में अखिलेश गुट मोटरसाइकिल को अपना चुनाव चिन्ह रखने का पूरा मन बना चुका है।