हजारों करोड़ का है डेरा सच्चा सौदा का इंपायर

 

संवाददाता, सिरसा। बलूचिस्तान के फकीर शाह मस्ताना अपने गुरु सावन शाह (राधास्वामी, ब्यास) के आदेश पर सिरसा 1948 में आए थे। डेरा बनाने से पहले कुछ समय वह राधास्वामी सत्संग घर में रहे। 1960 में उन्होंने शरीर छोड़ दिया। जलालआना के बड़े जमींदार शाह सतनाम अकूत संपत्ति छोडक़र साधु बने थे। दूसरी तरफ डेरे के मैनेजर गुरबख्श सिंह (जगमालवाली) तब डेरे का मैनेजमेंट देखते थे। दोनों के बीच डेरे की मल्कियत को लेकर कानूनी लड़ाई चली और कोर्ट का फैसला सतनाम सिंह के हक में आया। बाद में मैनेजर साहब (मैनेजर नाम उन्हें शाह मस्ताना ने दिया था) ने जगमालवाली में डेरा बना लिया। दिल्ली के लॉरेंस रोड में भी उनका रुहानी आश्रम है। उधर, सतनाम सिंह 1990 तक गद्दी पर काबिज रहे और फिर गुरमीत सिंह को 23 साल की उम्र में गद्दी पर बिठा दिया। आयकर विभाग की सूचना के अनुसार, 2010-11 में डेरे की वार्षिक आय 29 करोड़, 18 लाख, 68 हजार थी यानि करीब 7 लाख 99 हजार प्रतिदिन। शाह मस्ताना ने बेगू गांव से पहले जंगल को साफ कर डेरा बनाया था। सतनाम जी इस डेरे में ही सत्संग करते रहे, मगर डेरे की कमान मिलने के बाद गुरमीत सिंह ने 7 किलोमीटर आगे विशाल डेरा बनाया। यह 700 एकड़ में बताया जाता है। इस 7 किलोमीटर के रास्ते में सडक़ के दोनों ओर की अधिकतर जमीन बाद में डेरा ने खरीद ली। पुराने डेरे के पास करीब 17 साल पहले जब शहर का पहला एसी बाजार बना तो शहर के लोग उसे देखने जाते थे। यह डेरा की तरफ से बिजनेस की डायरेक्ट शुरुआत का पहला कदम था। उससे पहले डेरे की जमीनों पर खेती होती थी। फिर कैलेंडर, तस्वीरें, सत्संग की वीसीडी और लॉकेट बिकने शुरू हुए। धीरे-धीरे ऐसा कुछ नहीं बचा जिस उत्पाद को बनाने और बेचने का काम नहीं होता हो। आज एमएसजी नाम से प्रॉडक्ट्स की वैसी ही चेन है जैसी पतंजली या दूसरे उत्पादों की है। डेरे में पानी के अंदर रेस्तरां (कशिश), एंटरटेनमेंट पार्क, फाइव स्टार कैटिगरी की सुविधा वाले रिजॉर्ट (एसएमजी), सिनेमा हॉल, अपने पेट्रोल पंप, सुपरस्पेशिऐलिटी अस्पताल, इंटरनैशनल लेवल का स्टेडियम, स्केटिंग स्टेडियम, आईटी कॉलेज, गल्र्ज कॉलेज, इंटरनैशनल स्कूल, खुद का दैनिक अखबार, मासिक पत्रिका, चैनल सब है।
एक नंबर का जो लॉकेट डेरा के अनुयायी गले में पहनते हैं, उसके पीछे एक नंबर होता है जो बताता है कि अब तक कितने लॉकेट दिए जा चुके। लॉकेट लेते वक्त अनुयायियों का पूरा बायोडेटा लिया जाता है। डेरा के पास अपने अनुयायियों की सिलसिलेवार डीटेल है। पढ़ाई लिखाई, फोन नंबर से लेकर ईमेल तक सब। जब ट्विटर ने शोर मचाना शुरू किया तो बाबा राम रहीम ट्वीटर पर आ गए। उनके फॉलोअर्स की संख्या 37 लाख से ज्यादा है। हर ट्वीट पर औसतन 20 हजार रीट्वीट आते हैं, चाहे वह कुछ भी हो। ठीक ऐसे ही लाखों फॉलोअर्स वाले कई हैंडल हैं जो अलग अलग डिविजन के हैं। बाबा हर तरह के वाहन चलाने और मॉडिफाई करने के शौकीन हैं। 800 कारों के काफिले के साथ कोर्ट की आखिरी डेट में पहुंचने वाले बाबा राम रहीम के पास करोड़ों रुपये कीमत वाली कारों का कलेक्शन हैं। कई कारों और बाइक्स को उन्होंने अपने हिसाब से कलर और मॉडिफाई किया है।
शाह सतनाम जी ग्रीन वेलफेयर फोर्स में सवा लाख अनुयायी होने का दवा किया जाता है। देश में बड़ी आपदाओं के वक्त इसकी मौजूदगी आपदा प्रबंधन के तौर पर जब तक दिखी है। चाहे गुजरात का भूकंप हो या नेपाल का। बाढ़ हो या नेपाल में भूकंप। सफाई महाअभियान हो या कोई और मौका। ऐसे समय में यह फोर्स लोगों की मदद के लिए पहुंचती है। इसके लोगों को आग से निपटने, तैरने जैसे कई काम सिखाए जाते हैं। आरोप लगते रहे हैं कि इन्हें हथियारों की ट्रेनिंग भी दी जाती है, लेकिन इन आरोपों की कभी पुष्टि नहीं हो सकी। इस फोर्स ने कई शहरों को एक ही दिन में साफ करने के अभियानों में हिस्सा लिया है।